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This Article is From Jan 19, 2015

बिहार में मांझी की उल्टी गिनती शुरू

बिहार में मांझी की उल्टी गिनती शुरू
फाइल फोटो
मुंबई/पटना:

मैंने मांझी को भी कहा कि ये ऊंची जाति के लोगों से होती बदनामी से अच्छा है कि वह इस्तीफा दे दें। वह कहते हैं कि बचेंगे तो नेता बनेंगे, हटेंगे तो शहीद होंगे। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सोमवार को मुंबई में एक संवाददाता सम्मलेन में यह बात कही।

पासवान के इस बयान ने साबित कर दिया कि भले बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार ने दी, लेकिन जब अपने राजनीतिक भविष्य की बात हो, तब मांझी अपने राजनीतिक विरोधियों के साथ भी चर्चा करने से परहेज नहीं करते।

पटना शहर का राजनीतिक गलियारा केवल इन अटकलों से भरा है कि क्या मांझी राज्य के मुख्यमंत्री रहेंगे या जाएंगे। इस बात में कोई शक नहीं कि मांझी भले नीतीश कुमार के साथ अपने संबंधों को कितना भी मधुर बताए, लेकिन उनके संबंधों की मिठास जा चुकी हैं।

कई राजनीतिक प्रेक्षक इसके लिए मांझी को ही जिम्मेदार मानते हैं, जिन्होंने अपने परिवार के दबाव में राज्य में तबादले या परियोजना के ठेके देने में खुल कर मनमानी की और जिन परियोजनाओं में नीतीश कुमार खुद दिलचस्पी लेते हैं। उन परियोजना के साथ मांझी छेड़छाड़ करने से परहेज नहीं कर पाए।

हालांकि कई मंत्री और विधायक मांझी के समर्थन में हैं। ऐसे में नीतीश उनसे कैसे हाथ अपनाएंगे यह नीतीश के लिए परीक्षा होगी। हां, मांझी के हर कदम और खास कर वैसे कदम जिससे पार्टी और सरकार की किरकिरी होती है, उसे लेकर पार्टी के प्रवक्ता पिछले कुछ दिनों से मांझी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। हालांकि राज्य में मांझी समर्थक कुछ विधायकों की कोशिश है कि बीजेपी के सहयोग से एक वैकल्पिक सरकार भी बनाई जाए, लेकिन बीजेपी इसमें कितना सफल हो पाएगी यह कहना थोड़ा मुश्किल है। पार्टी चाहती है कि मांझी को हटाने के नीतीश के कदम से महादलित वोट बैंक में भी सेंध लगाई जा सके।

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