बिहार सरकार सभी प्रवासियों को टिकट के अलावा उनको पांच सौ रुपये भी देगी. सीएम नीतीश कुमार ने यह घोषणा की है. उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हैं कि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी बिहारियों को लाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने का विचार किया है. सीएम नीतीश ने कहा कि किसी भी को टिकट के लिए पैसा देने की जरूरत नहीं है. इन लोगों के लिए क्वारंटाइन सेंटर तैयार कर लिया गया है. इसमें हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई गई सभी को यहां पर 21 दिन रहना होगा. इसके बाद आने जाने के खर्च के अलावा 500 रुपये की मदद की जाएगी. यानी कम से कम 1 हजार रुपया दिया जाएगा. इस योजना के तहत 19 लाख लोगों को पहले ही एक हजार रुपया दिया जा चुका है. इसके अलावा जो छात्र कोटा से आ रहे हैं उनका भी किराया राज्य सरकार दे रही है.
नीतीश कुमार ने इस स्कीम की घोषणा करते हुए केंद्र सरकार को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि उन्होंने विशेष ट्रेन के उनके आग्रह को माना. नीतीश ने कहा कि उन्होंने जानबूझकर इसका प्रचार प्रसार नहीं किया क्योंकि उनका विश्वास काम करने में है. उन्होंने कहा कि कोटा से आने वाले छात्रों को पहले से पैसा नहीं देना पड़ रहा है क्योंकि उनका किराया सीधे बिहार सरकार रेलवे को दे रही है. लेकिन अब यह सुविधा बाहर से आने वाले प्रवासी मज़दूरों के लिए भी लागू की जा रही है. लेकिन उनके मामले में जो भी रेल भाड़े में उनका ख़र्च होगा, सरकार इसमें 5 रुपये और मिलाकर जब 21 दिनों का उनका उनका क्वारंटाइन ख़त्म होगा तो देगी और अगर किसी व्यक्ति का 1000 रुपए से क़म होता हैं तो न्यूनतम एक हज़ार रुपए का भुगतान किया जायेगा.
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी प्रवासी मजदूरों के किराए का खर्च वहन करेगी और इसके थोड़ी देर बाद ही आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी भी 50 ट्रेनों का किराया देने का ऐलान करती है. दरअसल इसके पीछे प्रवासियों को लाने के लिए चलाई जा रही स्पेशल श्रमिक ट्रेन का किराया है. जिसको लेकर मतभेद शुरू हो गए हैं. रेलवे विभाग का कहना है कि वह प्रत्येक यात्री का 85 फीसदी किराया वहन कर रहा है और बाकी 15 फीसदी राज्य सरकारों का देना चाहिए. इस पर कई विपक्ष के नेताओं का कहना है कि राज्यों पर भार डालना ठीक नहीं है. वहीं कई प्रदेश सरकारों ने 15 फीसदी किराया देने पर अभी तक कुछ नहीं बोला है. इसका नतीजा यह हुआ कि प्रवासियों को अपना पैसा खर्च करके आना पड़ा.
विपक्ष का कहना है कि जब लोगों के पास बीते कई महीने से कोई काम नहीं है और उनके पास रोजमर्रा की चीजें खरीदने के पैसे नही हैं तो फिर ऐसे में लोग किराया कहां से दे पाएंगे. वहीं केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रेलवे पहले से ही 85 फीसदी का किराया वहन कर रहा है. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चाहिए कि वह अपनी प्रदेश सरकारों से कहें कि वह 15 फीसदी किराया वहन करें जैसा कि मध्य प्रदेश में सरकार ने किया है.
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