AIIMS द्वारा संचालित पोस्ट ग्रेजुएशन परीक्षा नहीं दे सकेंगे कोरोना वॉरियर्स, जानें वजह...

कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे खड़े डॉक्टर और नर्सें स्पेशलाइजेशन के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन और फाइनल परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे.

AIIMS द्वारा संचालित पोस्ट ग्रेजुएशन परीक्षा नहीं दे सकेंगे कोरोना वॉरियर्स, जानें वजह...

नई दिल्ली:

कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे खड़े डॉक्टर और नर्सें स्पेशलाइजेशन के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन और फाइनल परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे. नियम केवल ऐसे लोगों को परीक्षा में बैठने की इजाजत देते हैं, जिनमें कोरोना का कोई लक्षण न हो. साथ ही वे उन लोगों को रोकते भी हैं जो कोरोनोवायरस (Coronavirus) रोगियों के संपर्क में थे. परीक्षा के लिए उपस्थित होने वालों को यह कहते हुए एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर भी करने की आवश्यकता होती है, और यदि जानकारी गलत साबित हुई तो वो उसके लिए कानूनी रूप से उत्तरदायी भी होंगे.

एमडी, एमएस, डीएम और एमसीएच की पोस्ट ग्रेजुएशन परीक्षाएं - जो स्पेशलाइजेशन और सुपर स्पेशलाइजेशन के लिए अंतिम परीक्षा होती है - का संचालन हर साल एम्स द्वारा किया जाता है. कई जूनियर डॉक्टर, हाउस स्टाफ और इंटर्न हर साल 150 केंद्रों में यह परीक्षा देते हैं. लेकिन इस साल 11 जून से होने जा रही इन परीक्षाओं के लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं.

प्री-एग्जाम के डिक्लेरेशन में लिखा गया है, "बिना लक्षण वाले ऐसे लोग जो कभी किसी COVID पॉजिटिव केस के संपर्क में न आए हों, वही परीक्षा में उपस्थ‍ित हो सकते हैं." डॉक्टरों को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करना होता है कि वे कोविड-19 रोगियों के संपर्क में नहीं हैं और यह कि यदि वो घोषणा में झूठ बोलते/छिपाते हैं तो वे कानूनी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होंगे.

एक साथ लिया गया, परीक्षा के लिए उपस्थित होने वालों में से लगभग 70 प्रतिशत नियमों पर रोक लगाई जा सकती है - जूनियर डॉक्टर, हाउस स्टाफ और इंटर्न, जो सभी कोरोनोवायरस रोगियों के लिए दैनिक जोखिम रखते हैं. नए नियम करीब 70 फीसदी लोगों को परीक्षा में उस्थ‍ित होने से रोक सकते हैं क्योंकि जूनियर डॉक्टर, हाउस स्टाफ व इंटर्न हर दिन कोरोना मरीजों के संपर्क में आते हैं. कोरोनोवायरस से जूझ रहे डॉक्टर नाराज हैं, उनका आरोप है कि उन्हें बाहर रखा जा रहा है.

डॉक्टर वैभव त्रिवेदी ने कहा, 'क्या यह न्याय? क्या यह मेरी देश सेवा का इनाम है? एक तरफ आप डॉक्टरों को हीरो बताते हैं, उनके ऊपर फूलों की बारिश करते हैं और दूसरी ओर आप ये कर रहे हैं.' डॉक्टर रचित सिंघानिया जो गुरुग्राम के एक डेडिकेटेड कोरोनावायरस फेसिलिटी में काम करते हैं, वो इसे तार्किक रूप से लेते हैं. वो कहते हैं, 'हम बिना लक्षण के संभावित वाहक हो सकते हैं और इससे परीक्षा केंद्र में संक्रमण व्यापक रूप से फैल सकता है.'

और भी कई चुनौतियां हैं जैसे परीक्षा केंद्रों का बहुत दूर होना जहां मौजूदा परिस्थ‍ितियों में पहुंचना संभव न हो पाए. NDTV ने दिल्ली के एक छात्र का एडमिट कार्ड देखा जिसका परीक्षा केंद्र मेरठ में दिया गया है. ऐसे ही पांडीचेरी में रहने वाले एक छात्र का परीक्षा केंद्र वहां से 200 किलोमीटर दूर तिरुचिरापल्ली में है.

एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'नेपाल से लगभग 200 आवेदक हैं, जो परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं हो सकते हैं क्योंकि सीमाएं सील हैं. इसके अलावा कंटेनमेंट जोन और क्वारेंटीन सेंटरों में भी कई ऐसे लोग हैं जिन्हें परीक्षा देनी है. डॉक्टरों की मांग है कि परीक्षा तब तक के लिए स्थगित कर दी जाए जब तक कि स्थितियां अधिक अनुकूल न हो जाएं.

लेकिन एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि परीक्षा आयोजित करने का यही एकमात्र समय है, क्योंकि बीमारी का चरम अभी भी दो से तीन महीने दूर है. अब परीक्षाएं स्थगित करने से पूरे शैक्षणिक वर्ष की बर्बादी होगी.

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