कंगना रनौत: प्रतिभाशाली भी, विवादित भी
कंगना रनौत: 'आ बैल, मुझे मार...यह कहावत बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) पर खरी है. 33 साल की कंगना जितनी प्रतिभाशाली कलाकार हैं, विवादों के मामले में उतनी ही महारथी. रितिक रोशन से उलझ चुकीं कंगना इस साल अपने ट्वीट से विवाद खड़े करती रहीं. शिवसेना के साथ उनके विवाद ने तो सालभर सुर्खियां बटोरीं. सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में भी उन्होंने कई आरोप लगाए. बॉलीवुड में ड्रग रैकेट पर बयान के कारण उनका बॉलीवुड एक्ट्रेस जया बच्चन से भी विवाद हुआ. शिवसेना के साथ कंगना के 'वॉर' की शुरुआत तब हुई जब उन्होंने मुंबई शहर की तुलना पाक अधिकृत कश्मीर (POK) से की. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को संबोधित उनके बयान भी विवादित रहे. किसान आंदोलन के दौरान कंगना को अपने एक ट्वीट के कारण न सिर्फ शर्मसार होना पड़ा बल्कि छीछालेदर होने पर इसे डिलीट करना पड़ा. दरअसल, कंगना ने एक ट्वीट को रिट्वीट कर किसान आंदोलन में शामिल 'किसान दादी' को शाहीन बाग की बिलकिस बानो बताया था. उन्होंने लिखा था-दिहाड़ी के हिसाब से दादी से ये काम करवाया जाता है. बाद में पता चला कि यह फोटो आंदोलन में शामिल महिंदर कौर का था और कंगना को माफी मांगनी पड़ी.
डोनाल्ड ट्रंप: हार मानने में भी शालीनता नहीं दिखाई

74 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) पर अमेरिका के राष्ट्रपति पद की गरिमा को तार-तार करने का आरोप लगता रहा है. लगभग हर दूसरे दिन उनके ऐसे बयान सामने आए जो दुनिया की महाशक्ति के राष्ट्रपति पद की गरिमा के लिहाज से ठीक नहीं माने जा सकते. और तो और, अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव (US election Results 2020) में जो बाइडेन के हाथों हार झेलने के बाद भी उन्होंने विनम्रता से हार स्वीकारने की शालीनता नहीं दिखाई. उन्होंने वोटों में गड़बड़ी का आरोप जड़ा और मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गए. मीडिया के साथ हरदम उनका '36 का आंकड़ा' रहा. नामी जर्नलिस्टों के साथ तूतू-मैंमैं की उनकी खबरों ने भी सुर्खियां बटोरीं. उनकी ओर से किए गए कई ट्वीट की जानकारी भी सत्यता से परे रही और इसके लिए शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ा. ट्रंप ने ऐसा भी ट्वीट किया जिसमें एक 75 साल का प्रदर्शनकारी ज़मीन पर गिरा दिख रहा है और न्यूयॉर्क पुलिस ने उसे शख़्स को लहूलुहान कर रखा है. ट्रंप ने आरोप लगाया था कि यह शख़्स, अमेरिकी एजेंसियों की इलेक्ट्रानिक निगरानी कर रहा था. कोरोना संक्रमण (Corona Virus Infectio) जब अमेरिका में कहर बरपा रहा था, उस दौर में भी मास्क न पहनकर ट्रंप ने गलत छवि पेश की. कोरोना संक्रमित होने के बाद ही उन्होंने मास्क पहनना शुरू किया. अपने ट्वीट्स को लेकर ट्रंप की ट्विटर संचालकों से भी ठनी रही. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती के बीच उन्होंने जो बाइडेन की पार्टी पर चुनाव में छल करने का आरोप लगाते हुए ऐसा ट्वीट किया जिसे Twitter को फ्लैग (चिन्हित कर छुपाना) करना पड़ा.
संजय राउत: कोर्ट को भी संयमित व्यवहार की समझाइश देनी पड़ी
शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे के खास सिपहसालार संजय राउत (Sanjay Raut) उनके लिए विवाद का कारण भी बने. राउत का कंगना रनौत के साथ 'ट्वीट वार' कई बार शब्दों की शालीनता को पार कर गया. हालत यहां तक पहुंची कि कंगना के ऑफिस को BMC की ओर से ढहाए जाने के मामले में हाईकोर्ट को भी राउत को शालीनता बनाए रखने की झिड़की देनी पड़ी. कोर्ट ने कहा ''हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता को लोकप्रिय व्यक्ति होने के नाते ट्वीट करते समय कुछ संयम बरतना चाहिए.” सितंबर माह में राउत को कंगना के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कैमरे पर कैद किया गया था.राउत ने माफी नहीं मांगी लेकिन एनडीटीवी से बातचीत में यह जरूर कहा था, 'मुझसे भी गलती हो सकती है.' सुशांत सिंह राजपूत के पिता की शादी को लेकर भी संजय राउत ने ऐसा कमेंट किया जो दिवंगत बॉलीवुड एक्टर के फैंस को नागवार गुजरा था.
बिप्लब देव: जाटों-सिख को लेकर कमेंट किया, माफी मांगी
त्रिपुरा (Tripura) में जब वर्ष 2018 में बिप्लब देव (Biplab Kumar Deb) ने राज्य के सीएम पद की शपथ ली थी तो लोगों ने उन्हें हाथोंहाथ लिया था लेकिन देव अपने बयानों से अपनी पार्टी बीजेपी के लिए फजीहत का कारण बने. उन्हें सीएम पद से हटाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है. पिछले साल उनके महाभारत काल में इंटरनेट और सैटेलाइट होने, बेरोजगारों को पान की दुकान खोलने और गाय पालने की नसीहत और मैकेनिकल नहीं, सिविल इंजीनियर्स को सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने संबंधी बेसिरपैर के बयान चर्चा में रहे. जुलाई 2020 में सिखों-जाटों के खिलाफ आपत्तिजनक बात करके वे विवाद में घिरे. उन्होंने सिख और जाटों को कम दिमागवाला बताया था. जाहिर है, इस बयान पर विवाद तो होना ही था, बाद में माफी मांगने में ही उन्होंने भलाई समझी. इससे पहले असम और मणिपुर में कोविड-19 पॉजिटिव मामलों के गलत आंकड़े देने को लेकर भी बिप्लब आलोचना के शिकार हुए थे.
अनुराग ठाकुर: मोदी के मंत्री लेकिन भाषा ऐसी..
नरेंद्र मोदी सरकार में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने इसी साल दिल्ली में विधानसभा चुनावों के दौरान भाषण में ऐसा नारा लगा दिया कि चुनाव आयोग को उन्हें प्रचारकों की सूची से बाहर करने का आदेश देना पड़ा था. रिठाला में ठाकुर ने एक चुनावी सभा की थी, सभा के वायरल वीडियो में वे भीड़ से बोल रहे थे- “देश के गद्दारों को…” जिसके बाद भीड़ की तरफ से जवाब आ रहा था- “गोली...इसी साल सितंबर में पीएम केयर्स फंड का हिसाब देते हुए अनुराग ठाकुर ने 'बेवजह' ही गांधी-नेहरू परिवार को लेकर कमेंट कर दिया था, इसके फलस्वरूप सदन में जमकर हंगामा हुआ था और वरिष्ठ बीजेपी नेताओं को स्थिति संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.
प्रवेश वर्मा: दिल्ली के फायरब्रांड सांसद
दिल्ली से बीजेपी के 'फायरब्रांड' सांसद प्रवेश वर्मा (Parvesh Verma) का भी विवादों से नाता है.नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में विरोध प्रदर्शन को लेकर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, 'वहां (शाहीन बाग में) लाखों लोग जमा होते हैं... दिल्ली के लोगों को सोचना होगा, और फैसला करना होगा... वे आपके घरों में घुसेंगे, बहन-बेटियों के साथ *****कर देंगे... आज ही वक्त है, कल मोदी जी और अमित शाह आपको बचाने नहीं आ पाएंगे.' दिल्ली के विधानसभा चुनाव के दौरान एक चैनल से बात करते हुए उन्होंने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को नक्सली और आतंकवादी तक बता दिया था जिस पर बवाल हुआ था. बाद में चुनाव आयोग ने अनुराग ठाकुर के साथ प्रवेश वर्मा को भी प्रचारकों की सूची से बाहर करने का आदेश दिया था.
कमलनाथ: आइटम बताया फिर माफी भी नहीं मांगी
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने राज्य में उपचुनावों के दौरान अपनी ही सरकार में मंत्री रह चुकीं इमरती देवी का 'आइटम' बताकर आफत मोल ले ली थी. राज्य में कांग्रेस (Congress) विधायकों की 'बगावत' के बाद इमरती बीजेपी से जुड़ चुकी हैं. कमलनाथ के इस बयान पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था, 'जिस भाषा का उन्होंने (कमलनाथ ने) इस्तेमाल किया है, मैं निजी तौर पर उसे पसंद नहीं करता.' बीजेपी ने इस बयान को मुद्दा बनाया था. बाद में कमलनाथ ने 'कमजोर' सफाई देते हुए कहा था, ‘आइटम अपमानजनक शब्द नहीं है.विधायक का नाम नहीं याद आ रहा था, इसलिए ऐसा बोल दिया.' हालांकि अपने बयान पर माफी उन्होंने आखिर तक नहीं मांगी.
कमल पटेल: अवार्ड जीतने वालों को ये क्या कह दिया..
मध्य प्रदेश के मंत्री कमल पटेल (Kamal Patel) ने किसान आंदोलन को लेकर अवार्ड वापस करने वाली शख्सियतों को कह दिया कि ऐसा करने वाले देशभक्त नहीं हैं. एक वीडियो में कमल पटेल कह रहे हैं, 'पहले भी अवार्ड वापसी का सिलसिला चल चुका है. ये जितने भी अवार्डी हैं, उनको अवार्ड कैसे मिले? भारत माता को गाली देने और देश के टुकड़े करने वालों को अवार्ड मिलते हैं. ये तथाकथित बुद्धिजीवी और अवार्डी देश भक्त नहीं हैं.'
दिलीप घोष: भाषा की मर्यादा का लांघते रहे
दिलीप घोष (Dilip Ghosh) वैसे हैं तो बंगाल में BJP के अध्यक्ष लेकिन विपक्ष के नेताओं के खिलाफ उनकी भाषा ऐसी होती है जो मर्यादित नहीं होती. घोष ने हाल ही में बंगाल (Bengal) की सीएम ममता बनर्जी को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की. दिलीप ने कहा, ममता दीदी को जय श्री राम बोलने से काफी दिक्कत होती है? वे यहीं नहीं रुके और यह भी कह दिया, 'आखिर उनके (ममता के) खून में ऐसा क्या है कि वो जय श्री राम नहीं बोल सकती हैं.'