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This Article is From Aug 19, 2020

अदालत की अवमानना का मामला : वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की

प्रशांत भूषण चाहते हैं कि शीर्ष अदालत कल की सुनवाई को तब तक के लिए टाल दे जब तक कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं दे देता

अदालत की अवमानना का मामला : वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

अदालत की अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दाखिल करके अवमानना (Contempt) मामले की सुनवाई टालने के लिए कहा है. भूषण को न्यायपालिका और चीफ जस्टिस (CJI) के खिलाफ अपने दो ट्वीट के लिए अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया था. सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार को सुनवाई करनी है कि भूषण को क्या सजा सुनाई जा सकती है.

अब भूषण ने अपनी याचिका में कहा है कि वह अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का इरादा रखते हैं. भूषण चाहते हैं कि शीर्ष अदालत कल की सुनवाई को तब तक के लिए टाल दे जब तक कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं दे देता.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) दो ट्वीट के आधार पर अदालत की अवमानना के मामले में दोषी करार दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया है. जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. 20 अगस्त को सजा पर सुनवाई होगी. इस मामले में पांच अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. कोर्ट ने यह मांग भी ठुकरा दी कि इस मामले में याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसमें खामी है. अदालत ने यह मांग भी नहीं मानी थी कि इस केस को किसी अन्य बेंच को भेजा जाए.

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वहीं मामले का सामना कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की स्वस्थ आलोचना होने से शीर्ष अदालत की प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आती है. कोर्ट ने हाल ही में प्रशांत भूषण के दो ट्वीट के मामले में कंटेप्ट (अवमानना) नोटिस जारी किया था और जवाब दाखिल करने को कहा था. कोर्ट में प्रशांत भूषण ने हलफनामा दायर कर कहा कि चीफ जस्टिस को लेकर किया गया ट्वीट और पूर्व चीफ जस्टिस को लेकर किया गया ट्वीट, स्वस्थ आलोचना के दायरे में आता है.

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उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस की स्वस्थ आलोचना सुप्रीम कोर्ट का अपमान नहीं है और न ही अदालत की गरिमा को कम करता है. 140 पेज के हलफनामे में भूषण ने कहा है कि पिछले चार चीफ जस्टिस के बारे में उनका कमेंट कहीं से अवमानना नहीं है. जो भी ट्वीट हैं, उसमें लोकतंत्र को नष्ट करने की अनुमति नहीं दिए जाने की बात है और यह अभिव्यक्ति कंटेप्ट के दायरे में नहीं आती है.

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