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This Article is From Apr 25, 2019

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- संस्थान मर रहा है, बदनाम करने के लिए सोचा समझा खेल खेला जा रहा है

कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ षड्यंत्र संबंधी वकील के दावों पर कहा कि इस संस्था को बदनाम करने के लिए एक सोचा समझा हमला किया जा रहा है और सोचा समझा खेल खेला जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- संस्थान मर रहा है, बदनाम करने के लिए सोचा समझा खेल खेला जा रहा है
सीजेआई रंजन गोगोई (फाइल तस्वीर)
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ षड्यंत्र के दावों पर कहा कि जिस तरीके से इस संस्था से पेश आया जा रहा है, हम उससे नाराज हैं... यदि ऐसा होगा तो हम काम नहीं कर पाएंगे. कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ षड्यंत्र संबंधी वकील के दावों पर कहा कि इस संस्था को बदनाम करने के लिए एक सोचा समझा हमला किया जा रहा है और सोचा समझा खेल खेला जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि चार से पांच प्रतिशत वकील ऐसे हैं जो इस महान संस्था को बदनाम कर रहे हैं. साथ ही कहा ‘अब समय आ गया है कि हम खड़े हों और देश के अमीर एवं ताकतवर लोगों को बताएं कि वे ऐसा नहीं कर सकते.' न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी.

साथ ही कोर्ट ने कहा, 'यह सब क्या चल रहा है. लोग पैसे की पावर से मामलों को सैटल करना चाहते हैं. आप जिसको चाहे उसकी छवि खराब कर सकते हैं. जज आते हैं और जाते हैं ये आपका संस्थान है. संस्थान को साफ करना होगा.'

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बेंच ने कहा कि फिक्सिंग के आरोप गंभीर हैं. जब भी बड़ा मामला आता है तो लोग चिट्ठी लिखने लगते हैं. लंबित मामलों में किताबें लिखी जाती हैं. सुप्रीम कोर्ट किसी के द्वारा रिमोट से कंट्रोल नहीं हो सकता. हम देखेंगे कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कैसे हो. किसी को भी सच्चाई नहीं पता. देश के लोगों को सच्चाई पता होनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि मनमाफिक पीठ के समक्ष सुनवाई कराने के आरोप बहुत ही गंभीर है और उनकी जांच की जानी चाहिए.

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बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष न्यायालय में ‘फिक्सिंग' के दावों और सीजेआई रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को बुधवार को ‘अत्यधिक संवेदनशील' करार दिया और कहा कि यह अदालत की जिम्मेदारी है कि संस्था (अदालत) को पाक-साफ रखा जाए, ताकि इसकी छवि धूमिल ना हो.

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय की पीठ में ‘फिक्सिंग' के बारे में अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस द्वारा दाखिल हलफनामे में लगाए गए आरोप और कुछ नामों का खुलासा बहुत ही गंभीर पहलू वाला है. पीठ ने कहा, ‘यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि संस्था (अदालत) को पाक - साफ रखा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इस तरह के आरोपों से इस संस्था की छवि धूमिल ना हो...'

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पीठ ने कहा, ‘हम जांच करेंगे और फिक्सरों के सक्रिय होने और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करने के कथित दावों की तह तक जायेंगे. यदि वे अपना काम करते रहे तो हममें से कोई भी नहीं बचेगा. इस व्यवस्था में फिक्सिंग की कोई भूमिका नहीं है. हम इसकी जांच करेंगे और इसे अंतिम निष्कर्ष तक ले जायेंगे.'

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