रेवाड़ी:
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के जमीन सौदे की जांच की मांग से हाल में सुखिर्यों में आए पार्टी सांसद इंदरजीत सिंह ने सोमवार को कहा कि वह ‘कांग्रेसी सियासत’ को अलविदा कह रहे हैं।
यहां एक रैली को संबोधित करते हुए गुड़गांव से लोकसभा सदस्य सिंह ने कहा कि वह कांग्रेस के टिकट पर अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वह पार्टी के ‘मौजूदा हालात’ से खुश नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस में 35 साल से हूं, लेकिन मौजूदा हालात में मैं कांग्रेस पार्टी से चुनाव नहीं लड़ूंगा और मैं कांग्रेसी सियासत को अलविदा भी कहता हूं।’
सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बीच कुछ मतभेद थे और वह कुछ समय से नाराज चल रहे थे। तकरीबन दो साल पहले उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। तब से वह खासे नाराज थे।
पिछले महीने उस समय सिंह खबरों की सुखिर्यों में आए जब उन्होंने वाड्रा के सौदे की उचित जांच की मांग की और कहा कि अगर वाड्रा दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें सजा दी जाए।
इंदरजीत सिंह ने तब कहा था, ‘मैं महसूस करता हूं कि प्रशासन ने उस तरह से काम नहीं किया जिस तरह उसे करना चाहिए था, मेरा काम रॉबर्ट वाड्रा के अभियोजन का नहीं है, अगर किसी ने अवैध तरीके से धन बनाया, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए और अगर उसमें राबर्ट वाड्रा शमिल हैं तो उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाए।’
दिवंगत केन्द्रीय मंत्री राव बिरेन्दर सिंह के बेटे सिंह का सांसद के रूप में यह तीसरा कार्यकाल है। वह 1977 से चार बार हरियाणा के विधायक रह चुके हैं और राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
सिंह ने यह कहते हुए हुड्डा पर हमला किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए पिछला दरवाजा इस्तेमाल किया जबकि उस पद के लिए खुद वह सक्षम थे।
उन्होंने कहा, ‘भजन लाल को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति प्रमुख बनाने की प्रक्रिया रोकने के लिए 1980 में हुड्डा और चौधरी बिरेन्दर सिंह मेरे पास आए। मैंने कहा कि इसके एवज में मुझे क्या मिलेगा। हुड्डा ने जवाब दिया कि आप हमारे नेता होंगे। और फिर मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने पिछले दरवाजे से प्रवेश कर लिया।’
सिंह ने खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के बतौर पेश करते हुए कहा, ‘मैं सक्षम हूं ओैर इस बार मुझे एक मौका दें। एजेंडा लोकसभा का नहीं है, बल्कि सत्ता पाने का है। कोई विकास नहीं हुआ, कोई रोजगार और कोई पानी नहीं है।’
सिंह ने हुड्डा को चुनौती दी कि वह गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र से उनके खिलाफ चुनाव लड़ कर दिखाएं। उन्होंने कहा, ‘अगर हुड्डा कहते हैं कि उनके कार्यकाल में विकास हुआ तो मैं उन्हें गुड़गांव से विधानसभा चुनाव लड़ने की चुनौती देता हूं।’ उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे पार्टियों को नहीं, बल्कि व्यक्तियों को वोट दें।
उन्होंने हुड्डा पर हमला करते हुए उनपर आरोप लगाया कि वह अपने बेटे एवं लोकसभा सदस्य दीपेन्दर हुड्डा को आगे बढ़ा रहे हैं और सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में काम करवा रहे हैं जिनसे उनका और उनके समर्थकों का रिश्ता है।
सिंह ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को (परियोजनाओं के उद्घाटन के लिए) रिबन काटने के लिए सिर्फ अपना बेटा मिलता है और दूसरे सांसद नहीं मिलते, हुड्डा सिर्फ अपने लोगों और विशेष क्षेत्रों के लिए काम करते हैं।’ वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए आंदोलनरत हैं और उनका आरोप है कि राज्य में विकास के ज्यादातर कोष का मुख्यमंत्री और उनके वफादारों के (रोहतक) क्षेत्र में उपयोग हो रहा है।
सिंह पहली बार 1998 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। 2004 और 2009 में वह फिर से चुने गए।
यहां एक रैली को संबोधित करते हुए गुड़गांव से लोकसभा सदस्य सिंह ने कहा कि वह कांग्रेस के टिकट पर अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वह पार्टी के ‘मौजूदा हालात’ से खुश नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस में 35 साल से हूं, लेकिन मौजूदा हालात में मैं कांग्रेस पार्टी से चुनाव नहीं लड़ूंगा और मैं कांग्रेसी सियासत को अलविदा भी कहता हूं।’
सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बीच कुछ मतभेद थे और वह कुछ समय से नाराज चल रहे थे। तकरीबन दो साल पहले उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। तब से वह खासे नाराज थे।
पिछले महीने उस समय सिंह खबरों की सुखिर्यों में आए जब उन्होंने वाड्रा के सौदे की उचित जांच की मांग की और कहा कि अगर वाड्रा दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें सजा दी जाए।
इंदरजीत सिंह ने तब कहा था, ‘मैं महसूस करता हूं कि प्रशासन ने उस तरह से काम नहीं किया जिस तरह उसे करना चाहिए था, मेरा काम रॉबर्ट वाड्रा के अभियोजन का नहीं है, अगर किसी ने अवैध तरीके से धन बनाया, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए और अगर उसमें राबर्ट वाड्रा शमिल हैं तो उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाए।’
दिवंगत केन्द्रीय मंत्री राव बिरेन्दर सिंह के बेटे सिंह का सांसद के रूप में यह तीसरा कार्यकाल है। वह 1977 से चार बार हरियाणा के विधायक रह चुके हैं और राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
सिंह ने यह कहते हुए हुड्डा पर हमला किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए पिछला दरवाजा इस्तेमाल किया जबकि उस पद के लिए खुद वह सक्षम थे।
उन्होंने कहा, ‘भजन लाल को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति प्रमुख बनाने की प्रक्रिया रोकने के लिए 1980 में हुड्डा और चौधरी बिरेन्दर सिंह मेरे पास आए। मैंने कहा कि इसके एवज में मुझे क्या मिलेगा। हुड्डा ने जवाब दिया कि आप हमारे नेता होंगे। और फिर मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने पिछले दरवाजे से प्रवेश कर लिया।’
सिंह ने खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के बतौर पेश करते हुए कहा, ‘मैं सक्षम हूं ओैर इस बार मुझे एक मौका दें। एजेंडा लोकसभा का नहीं है, बल्कि सत्ता पाने का है। कोई विकास नहीं हुआ, कोई रोजगार और कोई पानी नहीं है।’
सिंह ने हुड्डा को चुनौती दी कि वह गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र से उनके खिलाफ चुनाव लड़ कर दिखाएं। उन्होंने कहा, ‘अगर हुड्डा कहते हैं कि उनके कार्यकाल में विकास हुआ तो मैं उन्हें गुड़गांव से विधानसभा चुनाव लड़ने की चुनौती देता हूं।’ उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे पार्टियों को नहीं, बल्कि व्यक्तियों को वोट दें।
उन्होंने हुड्डा पर हमला करते हुए उनपर आरोप लगाया कि वह अपने बेटे एवं लोकसभा सदस्य दीपेन्दर हुड्डा को आगे बढ़ा रहे हैं और सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में काम करवा रहे हैं जिनसे उनका और उनके समर्थकों का रिश्ता है।
सिंह ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को (परियोजनाओं के उद्घाटन के लिए) रिबन काटने के लिए सिर्फ अपना बेटा मिलता है और दूसरे सांसद नहीं मिलते, हुड्डा सिर्फ अपने लोगों और विशेष क्षेत्रों के लिए काम करते हैं।’ वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए आंदोलनरत हैं और उनका आरोप है कि राज्य में विकास के ज्यादातर कोष का मुख्यमंत्री और उनके वफादारों के (रोहतक) क्षेत्र में उपयोग हो रहा है।
सिंह पहली बार 1998 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। 2004 और 2009 में वह फिर से चुने गए।
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