इशरत जहां (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत के शीर्ष खुफिया अधिकारियों में से एक राजेंद्र कुमार जो कि अब रिटायर हो चुके हैं, ने कहा, 'नए सबूतों से ये साबित हो गया है कि सीबीआई का वह केस, जिसमें मुझे कॉलेज की छात्रा इशरत जहां की हत्या का आरोपी बताया गया था वह झूठा था। यह मामला उस वक्त एक राजनीतिक चुनौती को खत्म करने के लिए मनमोहन सिंह सरकार द्वारा जानबूझ कर बनाया गया था।'
राजेंद्र कुमार का बयान आतंकी डेविड कोलमैन हेडली के मुंबई कोर्ट को गुरुवार सुबह दिए बयान पर आधारित है। गौरतलब है कि लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य रह चुका हेडली फिलहाल अमेरिका की जेल में बंद है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिेंग के जरिए मुंबई की अदालत में उसकी गवाही चल रही है। हेडली 2008 के मुंबई हमलों के मामले में अमेरिकी जेल में सजा काट रहा है। गुरुवार को हेडली ने अदालत को बताया कि इशरत जहां आतंकी संगठन लश्कर की ही सदस्य थी।
राजेंद्र कुमार ने कहा, 'हेडली से मिली जानकारी से इस बात का खुलासा होता है कि उनके खिलाफ सीबीआई का केस उस वक्त के ऊंचे और शक्तिशाली लोगों द्वारा अपने खिलाफ खड़ी राजनीतिक चुनौती को खत्म करने के लिए रची गई गहरी साजिश थी। उन्होंने कहा, 'तब सत्ता में रही कांग्रेस ने बीजेपी में प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में मजबूती से उभर रहे नरेंद्र मोदी के खिलाफ बढ़त बनाने के लिए ये फर्जी केस तैयार करवाया।'
2013 में रजेंद्र कुमार खुफिया ब्यूरो के एडिशनल डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए। उसके ठीक 2 महीने बाद सीबीआई ने कहा कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि राजेंद्र कुमार ही जून 2004 में हुई इशरत की हत्या के मास्टरमाइंड हैं। इशरत को तीन अन्य के साथ गुजरात पुलिस के कुछ उच्च अधिकारियों ने गोली मार दी थी, पुलिसवालों का कहना था कि वह लश्कर-ए-तैयबा की सदस्य थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश में शामिल थी।
राजेंद्र कुमार उस वक्त गुजरात के खुफिया विभाग के प्रमुख थे। सीबीआई ने कहा था कि राजेंद्र कुमार ने न सिर्फ फर्जी एनकाउंटर की साजिश की, बल्कि उन्होंने इशरत और उसके साथ कार में सफर कर रहे लोगों को मारने के लिए हथियार भी उपलब्ध कराए थे।
हालांकि खुफिया विभाग राजेंद्र कुमार के पक्ष में था, हालांकि हमारे अधिकारियों ने गुजरात पुलिस को इशरत जहां के लश्कर सदस्य होने को लेकर आगाह कर दिया था लेकिन हमारे अधिकारी ना तो इस एनकाउंटर में शामिल थे और ना ही इसके लिए अधिकृत थे।
पिछले साल गृह मंत्रालय ने राजेंद्र कुमार के खिलाफ सीबीआई को अभियोग चलाने की इजाजत यह कहते हुए नहीं दी थी कि जांच एजेंसी के पास अपने आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
राजेंद्र कुमार का बयान आतंकी डेविड कोलमैन हेडली के मुंबई कोर्ट को गुरुवार सुबह दिए बयान पर आधारित है। गौरतलब है कि लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य रह चुका हेडली फिलहाल अमेरिका की जेल में बंद है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिेंग के जरिए मुंबई की अदालत में उसकी गवाही चल रही है। हेडली 2008 के मुंबई हमलों के मामले में अमेरिकी जेल में सजा काट रहा है। गुरुवार को हेडली ने अदालत को बताया कि इशरत जहां आतंकी संगठन लश्कर की ही सदस्य थी।
राजेंद्र कुमार ने कहा, 'हेडली से मिली जानकारी से इस बात का खुलासा होता है कि उनके खिलाफ सीबीआई का केस उस वक्त के ऊंचे और शक्तिशाली लोगों द्वारा अपने खिलाफ खड़ी राजनीतिक चुनौती को खत्म करने के लिए रची गई गहरी साजिश थी। उन्होंने कहा, 'तब सत्ता में रही कांग्रेस ने बीजेपी में प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में मजबूती से उभर रहे नरेंद्र मोदी के खिलाफ बढ़त बनाने के लिए ये फर्जी केस तैयार करवाया।'
2013 में रजेंद्र कुमार खुफिया ब्यूरो के एडिशनल डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए। उसके ठीक 2 महीने बाद सीबीआई ने कहा कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि राजेंद्र कुमार ही जून 2004 में हुई इशरत की हत्या के मास्टरमाइंड हैं। इशरत को तीन अन्य के साथ गुजरात पुलिस के कुछ उच्च अधिकारियों ने गोली मार दी थी, पुलिसवालों का कहना था कि वह लश्कर-ए-तैयबा की सदस्य थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश में शामिल थी।
राजेंद्र कुमार उस वक्त गुजरात के खुफिया विभाग के प्रमुख थे। सीबीआई ने कहा था कि राजेंद्र कुमार ने न सिर्फ फर्जी एनकाउंटर की साजिश की, बल्कि उन्होंने इशरत और उसके साथ कार में सफर कर रहे लोगों को मारने के लिए हथियार भी उपलब्ध कराए थे।
हालांकि खुफिया विभाग राजेंद्र कुमार के पक्ष में था, हालांकि हमारे अधिकारियों ने गुजरात पुलिस को इशरत जहां के लश्कर सदस्य होने को लेकर आगाह कर दिया था लेकिन हमारे अधिकारी ना तो इस एनकाउंटर में शामिल थे और ना ही इसके लिए अधिकृत थे।
पिछले साल गृह मंत्रालय ने राजेंद्र कुमार के खिलाफ सीबीआई को अभियोग चलाने की इजाजत यह कहते हुए नहीं दी थी कि जांच एजेंसी के पास अपने आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
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