कोरोना वायरस महामारी पर नियंत्रण पाये जाने तक देश की राजधानी में शराब की दुकानों को बंद रखने का AAP सरकार को निर्देश देने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में बुधवार को एक जनहित याचिका दायर की गयी.याचिका में कहा गया है कि शराब की दुकानें खोलने से लॉक डाउन का मकसद फेल हो रहा है.इस याचिका को शीघ्र सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने के बारे में उल्लेख किया गया. याचिका पर आठ मई को सुनवाई होने की उम्मीद है.यह याचिका गैर सरकारी संगठन सिविल सेफ्टी काउन्सिल आफ इंडिया ने दायर की है . याचिका में बगैर किसी योजना और भीड़ के प्रबंधन के बारे में किसी तैयारी के बिना ही शराब की दुकानें खोलने के बारे में दिल्ली सरकार और उसके आबकारी विभाग के फैसले को चुनौती दी गयी है.
अधिवक्ता अरविन्द वशिष्ठ के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली की जनता पिछले कई दिन से लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रही थी, लेकिन शराब की दुकानें खोलने के बारे में तीन मई की अधिसूचना ने सारे किये धरे पर पानी फेर दिया है और अब इससे नागरिको की जिंदगी को खतरा हो सकता है. शराब की दुकानों पर बड़ी तादात में लोगों की भीड़ जुट रही.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद शराब की दुकानों के बाहर बड़ी संख्या में लोगों की लाइनें लग गयीं और सामाजिक दूरी बनाये रखने के नियमों की घज्जियां उड़ गयी.याचिका में कहा गया है कि चार मई को सरकार ने सभी ब्रांड की शराब की अधिकतम कीमत के ऊपर 70 प्रतिशत विशेष कोरोना शुल्क लगा दिया लेकिन इसके बावजूद शराब की दुकानों के बाहर बड़ी संख्या में लोगों की कतार नजर आती रही.
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