'पवित्र क्रॉस' के व्यावसायिक इस्तेमाल पर बाबा रामदेव के पतंजलि की निंदा

'पवित्र क्रॉस' के व्यावसायिक इस्तेमाल पर  बाबा रामदेव के पतंजलि की निंदा

बाबा रामदेव

खास बातें

  • बाबा रामदेव के बहिष्कार के आह्वान पर ईसाई समुदाय को आपत्ति नहीं है
  • भारत में ब्रिटिश शासन को दर्शाने के लिए 'पवित्र क्रॉस' के इस्तेमाल गलत
  • अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने के लिए बाबा रामदेव का कार्यक्रम
मुंबई:

टीवी पर विज्ञापन के जरिए विदेशी उत्पादों के बहिष्कार के लिए भारतीयों का आह्वान करने के क्रम में 'पवित्र क्रॉस' के इस्तेमाल पर इंडियन क्रिश्चियन वायस (आईसीवी) ने मंगलवार को योग गुरु बाबा रामदेव की निंदा की. बाबा रामदेव के बहिष्कार के आह्वान पर ईसाई समुदाय को आपत्ति नहीं है, लेकिन भारत में ब्रिटिश शासन को दर्शाने के लिए 'पवित्र क्रॉस' के इस्तेमाल से समुदाय नाखुश है.

आईसीवी के अध्यक्ष अब्राहम मथाई ने कहा, "ईसाई धर्म के प्रतीक पवित्र क्रॉस के इस तरह के चित्रण पर हम कड़ी आपत्ति जताते हैं. हम महसूस करते हैं कि एक खास अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने के लिए यह बाबा रामदेव का कार्यक्रम है. हम मांग करते हैं कि यह व्यावसायिक विज्ञापन सभी सार्वजनिक प्रक्षेत्र से तुरंत वापस लिया जाए."

मथाई ने कहा कि भावनाओं को भड़काने वाली इस तरह की बातों से निश्चित रूप से चर्चो और ईसाई संस्थानों पर हमले बढ़ेंगे.

उन्होंने कहा कि इस आपत्तिजनक व्यावसयिक विज्ञापन को लेकर आईसीवी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य संबद्ध अधिकारियों को पत्र लिख रहा है. विज्ञापन में आजादी से पहले स्वदेशी आन्दोलन की एक श्वेत और श्याम कतरन दिखाई जाती है और अचानक भारत के मानचित्र के साथ तीन दिशाओं की ओर इंगित तीन क्रॉस को बड़ा कर दिखाया जाता है.

तीनों क्रास के बीच में ई, आई और सीओ शब्द दिखाए जाते हैं जो ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने भारत में धीरे-धीरे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का मार्ग प्रशस्त किया था. आईसीवी के अध्यक्ष ने कहा कि एक खास अल्पसंख्यक समुदाय को खास रूप से चुनने पर वह नफरत भरे हमलों और उग्रवाद के लिए अघात योग्य बन जाएगा.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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