प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई और पुणे में 15 स्थानों पर छापे मारने के बाद चार बैंक खातों से 46.96 करोड़ रुपये जब्त किए हैं. निदेशालय ने ये कार्रवाई कुछ कंपनियों द्वारा कथित रूप से चीन से जुड़े ऑनलाइन सट्टेबाजी के अवैध ऐप चलाए जाने पर की. ईडी ने एक बयान में कहा, इन फर्मों के चार्टर्ड अकाउंटेंट पर भी छापा मारा गया. ईडी ने कहा, "कंपनियों के पंजीकृत कार्यालयों, उनके निदेशकों और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के यहां छापेमारी के बाद मालूम चला कि अवैध रूप से ऑनलाइन सट्टेबाजी की जा रही थी जो कि भारत के बाहर से होस्ट की जा रही थी.''
छापेमारी के दौरान, ईडी ने कई बैंक खातों की पहचान की है जो ज्यादातर एचएसबीसी बैंक के पास हैं. दोकपे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के 2 बैंक खातों के विश्लेषण से पता चला है कि पिछले वर्ष में, इस खाते में ₹ 1,268 करोड़ का संग्रह देखा गया है जिसमें से ₹ 300 रुपये का भुगतान पेटीएम गेटवे के जरिए हुआ. लगभग 600 करोड़ रुपये का भुगतान पेटीएम गेटवे के माध्यम से किया गया.
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ईडी ने हैदराबाद पुलिस के साइबर अपराध प्रभाग, डोकैपे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, लिंकयुन टेक्नोलजी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ दायर एफआईआर पर धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत एक जांच शुरू की थी.
बीजिंग कल पावर कंपनी के प्रबंधक, 24 साल के यान हाओ सहित धीरज सरकार और अंकित कपूर की आरोपियों के तौर पर पहचान की गई है.
ईडी के मुताबिक, ''जांच के दौरान, यह पता चला है कि कुछ भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की मदद से, कुछ चीनी नागरिकों ने कई भारतीय कंपनियों में डमी भारतीय निदेशकों का इस्तेमाल किया और कुछ समय बाद भारत की यात्रा की और इन कंपनियों का निर्देशन अपने हाथ में लिया."
प्रवर्तन निदेशालय ने बयान में कहा,"कुछ स्थानीय लोगों को एचएसबीसी बैंक के साथ बैंक खाते खोलने और ऑनलाइन वॉलेट्स के साथ व्यापार खाते खोलने के लिए इस्तेमाल किया गया. इन ऑनलाइन वॉलेट से देशभर में संदिग्ध लेनदेन किए जाते रहे. ”
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एजेंसी के मुताबिक,"एक बार बैंक खाते खोलने के बाद, इंटरनेट एक्सेस क्रेडेंशियल्स को भारतीय कर्मचारियों द्वारा चीन में भेजा गया और वहां से भुगतान किया गया. कंपनियों ने बड़ी संख्या में समान दिखने वाली वेबसाइटों का इस्तेमाल किया, जिन्हें क्लाउडफ़ेयर, यूएसए के माध्यम से होस्ट किया गया.''' जांच एजेंसियों ने कहा, "इन वेबसाइटों ने भोले-भाले लोगों को सदस्य बनने और विभिन्न ऑनलाइन ऐप्स पर दांव लगाने के लिए आकर्षित किया. साथ ही आकर्षक पुरस्कार का वादा किया."
एजेंसी ने बताया कि पेटीएम और कैशफ्री का इस्तेमाल एजेंट सदस्यों को पैसा इकट्ठा करने और कमीशन देने के लिए किया जाता था. ई-कॉमर्स की आड़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों वेबसाइट बनाई गईं. सभी वेबसाइटों को दैनिक रूप से सक्रिय नहीं किया गया था. कुछ लोगों को दांव लगाने के लिए सक्रिय किया गया था और दैनिक सक्रिय वेबसाइटों की जानकारी टेलीग्राम समूहों का उपयोग करने वाले सदस्यों को साझा की गई थी.
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