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This Article is From Nov 06, 2013

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत से आगे है चीन : नायर

बेंगलूर:

भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) ने बेशक भारत और चीन के बीच ‘अंतिरिक्षीय दौड़’ पर बहस छेड़ दी हो, लेकिन इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर का कहना है कि बीजिंग पहले ही आगे निकल चुका है और वह इस क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी होने की दिशा में है।

नायर ने बताया, ‘अगर कोई कहता है कि हम चीन के साथ दौड़ कर सकते हैं और उसे हरा सकते हैं, तो इस समय तो... हम यह खेल हार चुके हैं।’

नायर के अनुसार, पांच वर्ष पहले तक मानवीय अभियानों को छोड़कर भारत व चीन ‘लगभग बराबर’ थे और ‘सबकुछ रफ्तार में था’। ‘असल में कुछ तकनीकों के मामले में तो हम चीन से आगे थे। ये तकनीकें अंतरिक्ष संचार और रिमोट सेंसिंग से जुड़ी थीं।’

इसरो अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में अपने छह साल के कार्यकाल में 25 सफल अभियानों को अंजाम देने वाले नायर ने कहा, ‘पिछले पांच सालों में जब भारत सो रहा था, तब चीन लगातार आगे बढ़ता गया। उसके 10 अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाकर वापस आ चुके हैं। उनका अंतरिक्ष स्टेशन है, जिसका आधा काम पूरा हो चुका है और मुझे लगता है कि 2015 में यह काम भी करने लगेगा।’

नायर ने कहा, ‘और वे (चीन) हेवी लिफ्ट लॉन्चर बना रहा है जो नीचे की कक्षा में 25 टन तक का वजन ले जा सकता है। इसके साथ ही वे सिर्फ एशिया-प्रशांत के क्षेत्र से ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में अग्रणी होने जा रहे हैं।’

हाल ही दोबारा इंटरनेशनल अकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स के अध्यक्ष के रूप में चुने गए नायर ने कहा कि भारत वर्ष 2007 और 2008 में स्वीकृत किए गए कार्यक्रमों को क्रियान्वित कर रहा है और बहुत ‘धीमी गति’ से आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘अगले दस वर्षों के लिए हमारे पास कोई स्पष्ट विजन नहीं है कि हमें इस क्षेत्र में क्या करना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि टेली-मेडीसिन, टेली-एजुकेशन और ग्रामीण संसाधन केंद्रों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जहां हमने प्रभाव बनाया था, वे सब भी ठप्प पड़े हैं।’

नायर ने कहा, ‘संचार ट्रांसपोंडर्स के क्षेत्र में भारी कमी है और हम इसके लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। पहला नौवहन उपग्रह लॉन्च किया जा चुका है, लेकिन इसके बाद के उपग्रह अभी तक लॉन्च नहीं किए गए हैं। इस पृष्ठभूमि में, मंगल पर इस समय बहुत छोटा अंतरिक्षयान भेजना, मेरे हिसाब से बिल्कुल अनुपयुक्त प्राथमिकता है।’

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