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शुभांशु का मिशन Axiom-4: भारत ने अंतरिक्ष में कैसे लगाई बड़ी छलांग? यूं निकलेगा मिशन 'गगनयान' का रास्ता

Shubhanshu Shukla Return: शुभांशु ने इस मिशन पर एक नहीं बल्कि दो रिकॉर्ड बनाए हैं. वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय नागरिक बन गए हैं. साथ ही वो राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले केवल दूसरे भारतीय नागरिक हैं.

शुभांशु का मिशन Axiom-4: भारत ने अंतरिक्ष में कैसे लगाई बड़ी छलांग? यूं निकलेगा मिशन 'गगनयान' का रास्ता
Shubhanshu Shukla Return: भारत ने अंतरिक्ष में कैसे लगाई बड़ी छलांग?
  • शुभांशु शुक्ला Axiom-4 स्पेस मिशन के तहत SpaceX के ड्रैगन कैप्सूल से 15 जुलाई को प्रशांत महासागर में सुरक्षित स्प्लैशडाउन किया
  • शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय नागरिक हैं जिन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा की है और वे राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं.
  • इस मिशन के लिए ISRO ने लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और इसे भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारी माना जा रहा है.
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Shubhanshu Shukla Return: कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतिरश्र की सैर करने के बाद अपने साथियों संग धरती पर सुरक्षित वापस लौट आए हैं.  इसी के साथ उनके नाम कई रिकॉर्ड्स जुड़ गए. शुभांशु शुक्ला Axiom-4 स्पेस मिशन के अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट पर सवार होकर धरती पर लौटे. ड्रैगन का कैप्सूल मंगलवार, 15 जुलाई को भारतीय समयानुसार तकरीबन दोपहर के 3.01 बजे अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन किया, यानी पैराशूट की मदद से पानी में गिरा और वहां से अंतरिक्ष यात्रियों को रिकवर किया जाएगा.

भारत के लिए शुभांशु शुक्ला का यह अंतरिक्ष मिशन केवल रिकॉर्ड बनाने का मौका नहीं था, यह भविष्य की तैयारी थी, यह भारत की अंतरिक्ष में ऐतिहासिक छलांग थी. यह मिशन भारत के खुद के दम पर अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने के सपने का आधार बनेगा, यहीं से भारत के गगनयान मिशन का रास्ता निकलेगा.

शुभांशु शुक्ला का मिशन भारत के लिए अहम क्यों?

शुभांशु ने इस मिशन पर एक नहीं बल्कि दो रिकॉर्ड बनाए हैं. पहला यह कि वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय नागरिक बन गए हैं. दूसरा कि वो राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले केवल दूसरे भारतीय नागरिक हैं. उनकी यह यात्रा अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा द्वारा 1984 में रूसी सोयुज पर उड़ान भरने के 41 साल बाद हुई है. यह एक ऐसी उपलब्धि है जिसके बारे में देश को उम्मीद है कि यह उसकी अपनी मानवीय उड़ान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.

भारत की स्पेस एजेंसी शुभांशु के इस मिशन को अपनी महत्वाकांक्षाओं में एक "डिफायनिंग चैप्टर" (बहुत अहम मोड़) कहती है. ISRO ने शुभांशु शुक्ला की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक की इस यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. Axiom-4 मिशन के साथ शुभांशु शुक्ला को ऐसा अनुभव मिला है जो भारत की स्पेस एजेंसी को भविष्य के मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने में मदद मिलेगा. ISRO के अनुसार शुभांशु शुक्ला ही भारत के अपने पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के लिए "शीर्ष दावेदारों में" से हैं. यह मिशन 2027 में लॉन्च करने की तैयारी है. गगनयान मिशन के जरिए ISRO धरती के ऑर्बिट (कक्षा) में मानव मिशन भेजेगा.

यह तो बात हो गई शुभांशु शुक्ला को मिले अनुभव की. अब बात उन एक्सपेरिमेंट की जिन्हें उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अंजाम दिया है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला ने भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन को आगे बढ़ाने में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत की जरूरत के हिसाब से 7 खास एक्सपेरिमेंट किए हैं. इनमें मांसपेशियों के नुकसान (मसल लॉस) को डिकोड करने, मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस विकसित करने और अंतरिक्ष में हरे चने और मेथी के बीज को अंकुरित करने के प्रयोग शामिल थे.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अपने प्रवास के दौरान, शुभांशु शुक्ला ने सूक्ष्म शैवाल (माइक्रोएल्गे) पर भी एक्सपेरिमेंट किए हैं. ISRO के "स्पेस माइक्रो एल्गे" प्रोजेक्ट के साथ खाने लायक लायक माइक्रोएल्गे के तीन उपभेदों (स्ट्रेन) के विकास, मेटाबॉलिज्म और जेनेटिक एक्टिविटी पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव की जांच की गई. ये छोटे जीव अपने समृद्ध प्रोटीन, लिपिड और बायोएक्टिव घटकों की बदौलत लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक स्थायी भोजन स्रोत बन सकते हैं.

ये एक्सपेरिमेंट स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी में एक बड़ी छलांग हैं, जो गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और भविष्य के अन्य ग्रह मिशनों का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण प्रैक्टिकल ज्ञान का देते हैं.

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