यह ख़बर 30 जून, 2012 को प्रकाशित हुई थी

आदर्श घोटाला : चव्हाण ने देशमुख को जिम्मेदार ठहराया

खास बातें

  • महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण शनिवार को आदर्श हाउसिंग घोटाले की जांच कर रहे दो सदस्यीय आयोग के समक्ष पेश हुए।
मुम्बई:

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण शनिवार को आदर्श हाउसिंग घोटाले की जांच कर रहे दो सदस्यीय आयोग के समक्ष पेश हुए। उन्होंने इस घोटाले के लिए अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख और अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों को जिम्मेदार ठहराया।

चव्हाण ने कहा कि उन्होंने सम्बंधित दस्तावेजों पर दस्तखत तब किए, जब वरिष्ठ नौकरशाह उसकी जांच कर चुके थे। उन्होंने कहा कि देशमुख मंत्रिमंडल में वह राजस्व मंत्री थे। राजस्व मंत्री मुख्य सचिव की सलाह पर कार्य करता है। मुख्य सचिव ही पहले सभी प्रस्तावों का अध्ययन करते हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय को भी लपेटे में लिया और कहा कि यदि कथित प्रस्ताव को कैबिनेट या मुख्यमंत्री कार्यालय की मंजूरी नहीं मिलती है, तो मुख्यमंत्री को इसके बारे में वित्त विभाग को जानकारी देनी होती है।

दो सदस्यीय न्यायिक आयोग में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेए पाटील तथा राज्य के पूर्व मुख्य सचिव पी. सुब्रह्मण्यम शामिल हैं।

आयोग ने इसी सप्ताह की शुरुआत में महाराष्ट्र के एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री एवं मौजूदा केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री एवं मौजूदा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री देशमुख से गवाह के तौर पर पूछताछ की थी।

चव्हाण ने 2010 में यह घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था। वह देशमुख के मुख्यमंत्रित्व काल (1999 और 2003 के बीच) में राजस्व मंत्री थे। आदर्श हाउसिंग सोसायटी को इमारत के निर्माण की अनुमति उसी दौरान दी गई थी।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने घोटाले से सम्बंधित अपने आरोपपत्र में 14 आरोपियों में चव्हाण का नाम भी शामिल किया है।  

इस सप्ताह की शुरुआत में की गई पूछताछ में देशमुख ने अपने मंत्रालय के पूर्व सहयोगियों अशोक चव्हाण और तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत पटेल को घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराया था। देशमुख ने कहा कि उन्होंने आदर्श सोसायटी से सम्बंधित फाइलों पर हस्ताक्षर तब किए थे, जब दोनों मंत्रियों ने सहमति जताई थी।

इससे पहले शिंदे ने आयोग को बताया था कि सरकारी भूमि के आवंटन और आदर्श हाउसिंग सोसायटी की इमारत में अतिरिक्त तल बनाने की मंजूरी से सम्बंधित फैसले देशमुख के कार्यकाल के दौरान लिए गए थे।

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उल्लेखनीय है कि आदर्श सोसायटी घोटाला, दक्षिणी मुम्बई के कोलाबा इलाके के एक प्रमुख भूखंड पर बनी 31 मंजिली इमारत से जुड़ा हुआ है, जिसका निर्माण इसी सोसायटी ने कराया था।