यह ख़बर 11 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

मध्य प्रदेश : घर में शौचालय होने के बावजूद नहीं छूटती खुले में शौच जाने की आदत...

देवरान गांव के एक घर में बना शौचालय, जिसका दरवाज़ा नदारद है

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश के दमोह जिले का देवरान गांव... मुझे यहां कदम रखते ही एहसास हुआ कि गांव के लोग खुले में शौच जाते हैं... एक तथ्य यह भी पता चला कि गांव में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की तादाद अच्छी-खासी है, और इनमें से ज्यादातर आएदिन बीमार रहते हैं... पहली नज़र में तो लगा था कि गांव में शौचालय की व्यवस्था ही नहीं है, लेकिन जब गांव के सरपंच से बात की तो पता चला कि वर्ष 2010 में सरकार ने इस गांव में 189 शौचालय बनवाए थे...

इसके बावजूद गांव में जगह-जगह मानवमल पड़ा दिखा, जिसके बाद यह हज़म करना मुश्किल हो रहा था कि गांव के लोगों के पास शौचालय की सुविधा है... मैंने सरपंच के साथ जाकर शौचालयों का जायज़ा लिया तो देखा कि 189 में से लगभग 125 पूरी तरह तोड़ दिए गए हैं... उनकी ईंटें तक निकालकर लोगों ने अपने घरों में लगा ली हैं, किसी ने दीवारों में, किसी ने आंगन में... शौचालयों के लिए खोदे गए गड्ढे कचरा जलाने के काम आ रहे हैं...

गांव के लोगों से शौचालय इस्तेमाल न करने की वजह पूछे जाने पर अलग-अलग तर्क और बहाने सुनने को मिले... किसी ने कहा, शौचालय में बैठने की आदत नहीं है, किसी को शौचालय बहुत छोटा लगता है... कुल 125 से भी ज्यादा शौचालयों की बदहाली देखकर हैरानी हुई, क्योंकि कुछ देर पहले ही गांव के लोग गंदगी का दोष सरकार पर मढ़ रहे थे...

इसके बाद मैंने सरपंच से कहकर उन शौचालयों का हाल जानने का प्रयास किया, जो बचे हुए थे... ऐसे शौचालय की संख्या लगभग 60 थी... सो, पहले हम पहुंचे एक बुजुर्ग महिला गोपीबाई के घर, जहां जाकर पता चला कि सरकार द्वारा शौचालय में लगवाया गया दरवाज़ा अब गोपीबाई के घर का मुख्यद्वार है... जब गोपीबाई से इसका कारण पूछा तो जवाब मिला कि घर के लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते, तो वह दरवाज़ा घर में लगा लिया... मैं हैरान होकर सुनता रहा...

इसके बाद भी ऐसे कई घर देखे, जहां शौचालय तो था, लेकिन उसे उपयोग करने वाला कोई नहीं... किसी के घर पर शौचालय में बच्चों के खिलौने रखे थे, किसी के घर में लकड़ी और उपले... लेकिन लगभग सभी घर गांववालों की मानसिकता बयान कर रहे थे, कि उन्हें शौचालय होने के बावजूद खुले में शौच के लिए जाना पसंद है...

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इसके बाद हमारी टीम ने गांव के लोगों के साथ बैठक की और गांव के महिलाओं-पुरुषों को खुले में शौच जाने के गंभीर परिणामों के बारे में जानकारी दी... हमने उन्हें बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे बुरे असर के बारे में भी बताया, लेकिन उनकी प्रतिक्रियाओं से साफ लग रहा था कि उनकी मानसिकता को बदलना लगभग नामुमकिन है... फिर भी कहीं न कहीं यह उम्मीद है कि ऐसे गांव भी जल्द ही तेजी से बदलती दुनिया का हिस्सा बनेंगे, और अपने और अपने बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देकर गांव के विकास को नई ऊर्जा देंगे...