दक्षिण-पश्चिम मानसून (Monsoon) सीजन के दौरान औसत से ज्यादा बारिश ने बिहार और असम में कहर बरपा दिया है जहां लाखों लोग बाढ़ (Flood) की चपेट में फंसे हुए हैं. केंद्र जल आयोग के चेयरमैन ने एनडीटीवी से कहा है कि असम के करीब 17 और बिहार के करीब 9 जिलों में बड़ी नदियां खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रही हैं.
बिहार और असम में आई इस भयावह बाढ़ ने लाखों लोगों को अपने चपेट में ले लिया है. कोरोना संकट के दौरान आए इस आपदा ने लोगों की मुश्किलें दोगुनी बढ़ा दी हैं. एनडीटीवी से बात करते हुए केंद्रीय जल आयोग के चेयरमैन आरके जैन ने कहा कि बिहार में बाढ़ की हालत चिंताजनक है.
बिहार में 40 बाढ़ पूर्वानुमान केंद्रों में से 20 बाढ़ पूर्वानुमान केंद्रों के दायरे में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. पूर्णिया, कटिहार, अररिया, मधुबन, सुपौल, खगड़िया, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर में नदियों का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर है. राज्य के 9 से 10 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. प्रभावित जिलों में अगले 4 से 5 दिन तक बड़ी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बहती रहेंगी.
केंद्रीय जल आयोग के चेयरमैन आरके जैन ने कहा - बिहार में इस सीजन में औसत से डेढ़ गुना ज्यादा बारिश हुई है.
बिहार में बाढ़ का मुख्य कारण है बारिश. एक जून से अब तक बिहार में औसत से 52% ज्यादा बारिश हुई है. पिछले हफ्ते 61 % औसत से ज्यादा बारिश हुई है.
चिंता असम में बाढ़ की स्थिति को लेकर भी है. असम में 30 बाढ़ पूर्वानुमान केंद्रों में से 13 केंद्रों के दायरे में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. असम में 16 से 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. आरके जैन ने कहा कि "असम में भी बाढ़ की स्थिति काफी गंभीर है. इस सीजन में असम में 19 % औसत से ज्यादा बारिश हुई है. पिछले एक हफ्ते में वहां औसत से 37% ज्यादा बारिश हुई है."
उत्तर प्रदेश के चार जिलों में भी बड़ी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.