सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार CBSE (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) 12वीं परीक्षा मामले में सुधार परीक्षा के अंकों को अंतिम मानने वाली CBSE की नीति को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों परीक्षाओं में जिसमें बेहतर अंक हों, उसे मंजूर करने विकल्प दिया जाए. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने आज मामले में यह फैसला सुनाया. CBSE के वकील रूपेश कुमार ने अदालत को सूचित किया था कि चूंकि छात्रों का मूल्यांकन उनकी सुधार परीक्षा में किया जाता है, इसलिए उसमें प्राप्त अंकों को अंतिम माना जाएगा.
अदालत ने वकील से पूछा कि 'CBSE द्वारा छात्रों को उनके मूल अंक बनाए रखने की अनुमति नहीं देने का क्या औचित्य है? इस साल इसे करने में क्या कठिनाई है जब यह अतीत में किया गया है?' अदालत ने नीति को रद्द करते हुए सीबीएसई परिणाम की अंतिम घोषणा के लिए प्राप्त दो अंकों में से बेहतर को स्वीकार करने के लिए उम्मीदवार को विकल्प प्रदान करेगा.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में CBSE से कहा था कि वह कक्षा 12 की सुधार परीक्षा में मानक फॉर्मूले के अनुसार अंकों को अंतिम मानने की अपनी नीति पर पुनर्विचार करे. पीठ ने कहा था कि छात्र केवल अपने मूल अंक के परिणामों को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं. इससे उनके द्वारा लिए गए दाखिले प्रभावित होंगे यदि उनके द्वारा सुधार परीक्षा में कम अंकों पर विचार किया जाता है.
CBSE ने अपने जवाबी हलफनामे में पीठ को बताया कि उसने अपनी नीति में आंशिक संशोधन किया है, ताकि सुधार परीक्षा में 'असफल' होने वाले छात्रों को 'पास' परिणाम बरकरार रखने की अनुमति मिल सके. बेंच ने सीबीएसई के वकील से कहा था कि वह अपनी सुधार परीक्षा नीति पर पुनर्विचार के मुद्दे पर CBSE से निर्देश मांगे.
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