यह ख़बर 17 अक्टूबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

जांच जारी, पीएमओ को क्लीनचिट नहीं दी : कोयला घोटाले पर सीबीआई

नई दिल्ली:

कोयला घोटाले में कुमार मंगलम और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख के खिलाफ दायर एफआईआर में एक सक्षम अधिकारी (कॉम्पिटेंट अथॉरिटी) का ज़िक्र है। सवाल उठ रहा है कि सीबीआई जिसे सारे अहम फ़ैसलों के पीछे बता रही है आखिर वह सक्षम अधिकारी कौन है।

एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख ने कहा कि हिंडाल्को को तालाबीरा−2 कोल ब्लॉक देने में कोई गड़बडी नहीं है, अगर गड़बड़ी है तो पीएम भी ज़िम्मेदार हैं।

सवाल है कि इस पूरे सिलसिले में प्रधानमंत्री कहां से चले आते हैं। सीबीआई की एफआईआर में भी कहीं उनका या उनके दफ्तर का नाम नहीं है।

सीबीआई कहती है कि पीसी पारख ने फ़ैसला बदला, लेकिन एफआईआर में एक सक्षम अधिकारी का ज़िक्र है, जिसने फ़ैसला बदले जाने को मंज़ूरी दी।

एफआईआर के मुताबिक महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड और नेवेलि लिग्नाइट कारपोरेशन को तालाबीरा−2 और तालाबीरा−3 कोल ब्लॉक आवंटित किए जाने की सिफ़ारिश और कुछ दिशानिर्देशों में संशोधन प्रस्तावों को सक्षम अधिकारी के सामने रखा गया। इसने दिशानिर्देशों में प्रस्तावित बदलावों को मंज़ूरी दी और निर्देश दिया कि संशोधित दिशानिर्देशों की रोशनी में 25वीं स्क्रीनिंग कमेटी के मिनट देखें और कोयला सचिव के स्तर पर मंज़ूर किए जाएं। इसी के मुताबिक तत्कालीन कोयला सचिव पीसी पारख ने 16 जून 2005 के अपने नोट के ज़रिये 15 जुलाई 2005 तक आवंटन पत्र जारी करने का निर्देश दिया।

एनडीटीवी से बातचीत में पीसी पारख ने साफ कहा कि फैसला उनका ही था प्रधानमंत्री का फ़ैसला नहीं था। मामला इस मंजूरी तक ही ख़त्म नहीं होता। सीबीआई की एफआईआर में सक्षम अधिकारी का ज़िक्र आगे भी आता है।

जांच से ये भी पता चला कि जब सक्षम अधिकारी द्वारा स्क्रीनिंग कमेटी की सिफ़ारिशों को मंज़ूरी दी जा रही थी, तभी उसे हिंडाल्को इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के कुमारमंगलम बिड़ला की ओर से 7 मई 2005 और 17 जून 2005 को लिखी गईं चिट्ठियां मिलीं जिनमें तालीबीरा−2 कोल ब्लॉक आवंटित किए जाने का अनुरोध किया गया था इसे कोयला मंत्रालय को भेज दिया गया।

एफआईआर का ये हिस्सा दो बातें साफ़ करता है। न कोयला सचिव सक्षम अधिकारी हैं और न ही कोयला मंत्रालय। तब सवाल उठता है कि ये सक्षम अधिकारी कौन है।

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सीबीआई इस सवाल का जवाब नहीं देती। बस इतना कहती है कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भी क्लीन चिट नहीं दी गई है।