वीरभद्र सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी को संभावित गिरफ्तारी से सुरक्षा और अन्य राहत देने के हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में सीबीआई ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया।
दशहरा अवकाश के बाद सुनवाई
प्रधान न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अगुवाई वाली पीठ सीबीआई की दो याचिकाओं पर दशहरे के अवकाश के बाद अदालत के पुन: खुलने पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गई। इस पीठ में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भी शामिल हैं। बहरहाल, पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के लिए इस मामले को सूचीबद्ध करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह इतना अधिक जरूरी नहीं है।
सीबीआई की जांच में रुकावट
जांच एजेंसी की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पीएस पटवालिया ने कहा कि जाहिर तौर पर उच्च न्यायालय के आदेश ने गिरफ्तारी से सुरक्षा जैसी राहत देकर जांच की प्रक्रिया रोक दी है और उसकी अनुमति के बिना आरोपी से कोई पूछताछ नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने न केवल सीबीआई को मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने से रोक दिया बल्कि अपनी पूर्व अनुमति के बिना उसे आरोप पत्र दाखिल करने से भी रोक दिया।
मामला हिमाचल से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग
जांच एजेंसी ने एक स्थानांतरण याचिका और एक विशेष अनुमति याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल कर सिंह के खिलाफ चल रहा मामला हिमाचल प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह और राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की मांग की है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक अक्तूबर को सीबीआई को बेहिसाब संपत्ति के मामले में सिंह तथा उनकी पत्नी को गिरफ्तार करने से रोक दिया था लेकिन इस मामले में जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी थी। इसके खिलाफ सिंह की याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह दंपत्ति से पूछताछ करने से पहले अदालत को सूचित करते रहें।
अधिकार क्षेत्र के उल्लंघन का आरोप
मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने ‘दुर्भावनापूर्ण इरादों और राजनीतिक प्रतिशोध’ के चलते उनके निजी आवास और अन्य परिसरों पर छापे मारे थे। सिंह ने याचिका में आरोप लगाया कि सीबीआई ने मामला दर्ज करने में अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया। उन्होंने सवाल किया कि एजेंसी उनके परिसर में छापा कैसे मार सकती है जबकि मामला दिल्ली उच्च न्यायालय, आयकर न्यायाधिकरण और अन्य आयकर प्राधिकरियों के समक्ष लंबित है, जहां उनके आयकर दाखिल करने संबंधी समस्त दस्तावेज दिए जा चुके हैं।
वीरभद्र ने उच्च न्यायालय से उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का आदेश दिए जाने की मांग की थी। यह प्राथमिकी सीबीआई ने 23 सितंबर को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (2) तथा 13 (1) (ई) और भारतीय दंड संहिता की धारा 109 के तहत उनके खिलाफ दिल्ली में दर्ज की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय एक गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज़’ द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका पर भी सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिंह को करीब पांच करोड़ रूपये की बेहिसाब राशि मिली थी।
दशहरा अवकाश के बाद सुनवाई
प्रधान न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अगुवाई वाली पीठ सीबीआई की दो याचिकाओं पर दशहरे के अवकाश के बाद अदालत के पुन: खुलने पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गई। इस पीठ में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भी शामिल हैं। बहरहाल, पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के लिए इस मामले को सूचीबद्ध करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह इतना अधिक जरूरी नहीं है।
सीबीआई की जांच में रुकावट
जांच एजेंसी की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पीएस पटवालिया ने कहा कि जाहिर तौर पर उच्च न्यायालय के आदेश ने गिरफ्तारी से सुरक्षा जैसी राहत देकर जांच की प्रक्रिया रोक दी है और उसकी अनुमति के बिना आरोपी से कोई पूछताछ नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने न केवल सीबीआई को मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने से रोक दिया बल्कि अपनी पूर्व अनुमति के बिना उसे आरोप पत्र दाखिल करने से भी रोक दिया।
मामला हिमाचल से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग
जांच एजेंसी ने एक स्थानांतरण याचिका और एक विशेष अनुमति याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल कर सिंह के खिलाफ चल रहा मामला हिमाचल प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह और राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को रद्द करने की मांग की है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक अक्तूबर को सीबीआई को बेहिसाब संपत्ति के मामले में सिंह तथा उनकी पत्नी को गिरफ्तार करने से रोक दिया था लेकिन इस मामले में जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी थी। इसके खिलाफ सिंह की याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह दंपत्ति से पूछताछ करने से पहले अदालत को सूचित करते रहें।
अधिकार क्षेत्र के उल्लंघन का आरोप
मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने ‘दुर्भावनापूर्ण इरादों और राजनीतिक प्रतिशोध’ के चलते उनके निजी आवास और अन्य परिसरों पर छापे मारे थे। सिंह ने याचिका में आरोप लगाया कि सीबीआई ने मामला दर्ज करने में अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया। उन्होंने सवाल किया कि एजेंसी उनके परिसर में छापा कैसे मार सकती है जबकि मामला दिल्ली उच्च न्यायालय, आयकर न्यायाधिकरण और अन्य आयकर प्राधिकरियों के समक्ष लंबित है, जहां उनके आयकर दाखिल करने संबंधी समस्त दस्तावेज दिए जा चुके हैं।
वीरभद्र ने उच्च न्यायालय से उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का आदेश दिए जाने की मांग की थी। यह प्राथमिकी सीबीआई ने 23 सितंबर को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (2) तथा 13 (1) (ई) और भारतीय दंड संहिता की धारा 109 के तहत उनके खिलाफ दिल्ली में दर्ज की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय एक गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज़’ द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका पर भी सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिंह को करीब पांच करोड़ रूपये की बेहिसाब राशि मिली थी।
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