नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी को चार दिन के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया. सीबीआई ने कहा कि 'अंतरराष्ट्रीय प्रभाव वाली बड़ी साजिश' का पता लगाने के लिए उनसे पूछताछ किए जाने की आवश्यकता है. त्यागी को 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद में 450 करोड़ रुपये रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया गया है.
उनके चचेरे भाई संजीव त्यागी उर्फ जूली और अधिवक्ता गौतम खेतान को भी 14 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. ये भी संप्रग-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन स्थित कंपनी अगस्ता वेटस्टलैंड से वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद के मामले में आरोपी हैं.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुजीत सौरभ ने उनको यह कहते हुए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने 10 दिन की हिरासत की मांग की. सीबीआई ने कहा कि यह 'अंतरराष्ट्रीय प्रभाव वाली बहुत बड़ी साजिश है'. हालांकि, आरोपी की तरफ से उपस्थित वकील ने सीबीआई की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि मामले में प्राथमिकी तीन साल पहले दर्ज की गई थी और अब गिरफ्तारी के लिए कोई नया आधार नहीं है.
पूर्व वायु सेना प्रमुख की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद का फैसला सामूहिक था और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी इसका हिस्सा था. उन्होंने अदालत से कहा, 'यह सामूहिक फैसला था, न कि त्यागी का व्यक्तिगत फैसला था. यह एक सामूहिक फैसला था, जिसका पीएमओ हिस्सा था'.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को वायु सेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी और अन्य को 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया था.
पिछली संप्रग सरकार के दौरान ब्रिटेन स्थित अगस्तावेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद में 450 करोड़ रुपये की रिश्वत के कथित लेन-देन के आरोप में ये गिरफ्तारियां हुई हैं.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि 2007 में सेवानिवृत हुए 71 साल के त्यागी, संजीव और चंडीगढ़ में रहने वाले वकील गौतम खेतान को सीबीआई मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. करीब चार घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
करीब तीन साल पहले सामने आए इस मामले में सीबीआई की ओर से की गई ये पहली गिरफ्तारियां है. रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच के लिए सीबीआई ने 2013 में प्राथमिकी दर्ज की थी. जांच एजेंसी ने प्राथमिकी तब दर्ज की थी जब इटली में इस मामले में हो रही अदालती सुनवाई के दौरान अभियोजकों ने अगस्तावेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमेकेनिका के प्रमुख के खिलाफ इस करार में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
शुक्रवार शाम के वक्त दिए गए एक बयान में सीबीआई प्रवक्ता देवप्रीत सिंह ने बताया था कि यह आरोप है कि वायुसेना प्रमुख ने अन्य आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश की और 2005 में भारतीय वायुसेना का यह रुख बदलने के लिए तैयार हो गए कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की 6000 मीटर की सर्विस सीलिंग अनिवार्य परिचालन जरूरत है और इसे घटाकर 4500 मीटर कर दिया.
देवप्रीत ने कहा कि परिचालन जरूरतों में ऐसे बदलाव से ब्रिटेन स्थित कंपनी (अगस्तावेस्टलैंड) वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों के लिए प्रस्ताव के अनुरोध (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) में हिस्सेदारी लेने योग्य हो गई. सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान खुलासा हुआ कि उनके चचेरे भाई और एक वकील सहित बिचौलियों..रिश्तेदारों के जरिए आरोपी वेंडरों से रिश्वत कबूल कर ब्रिटेन स्थित उक्त निजी कंपनी को अनुचित फायदा पहुंचाया गया. अवैध जरिए से प्रभाव का इस्तेमाल करने या संबंधित लोक सेवकों पर निजी प्रभाव डालने के लिए उन्होंने अवैध रिश्वत कबूल की.
पिछले तीन साल में मीडिया को दिए कई इंटरव्यू में त्यागी और उनके चचेरे भाई ने करार को प्रभावित करने के लिए किसी तरह की रिश्वत लेने के आरोपों से इनकार किया है.
आरोपों को खारिज करते हुए पूर्व एयर चीफ मार्शल त्यागी ने कहा था कि शर्तों में बदलाव एक सामूहिक फैसला था जिसमें भारतीय वायुसेना, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप और अन्य विभागों के अधिकारी शामिल थे.
सीबीआई ने दावा किया था कि खेतान ने यूरोपीय बिचौलिये ग्विडो हैश्के और कालरे गैरोसा से पैसे लेने की बात कबूल की है. हालांकि, उसने यह भी कहा कि वह करार को प्रभावित करने के लिए लिया गया कमीशन नहीं था.
(इनपुट भाषा से भी)
उनके चचेरे भाई संजीव त्यागी उर्फ जूली और अधिवक्ता गौतम खेतान को भी 14 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. ये भी संप्रग-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन स्थित कंपनी अगस्ता वेटस्टलैंड से वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद के मामले में आरोपी हैं.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुजीत सौरभ ने उनको यह कहते हुए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने 10 दिन की हिरासत की मांग की. सीबीआई ने कहा कि यह 'अंतरराष्ट्रीय प्रभाव वाली बहुत बड़ी साजिश है'. हालांकि, आरोपी की तरफ से उपस्थित वकील ने सीबीआई की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि मामले में प्राथमिकी तीन साल पहले दर्ज की गई थी और अब गिरफ्तारी के लिए कोई नया आधार नहीं है.
पूर्व वायु सेना प्रमुख की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद का फैसला सामूहिक था और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी इसका हिस्सा था. उन्होंने अदालत से कहा, 'यह सामूहिक फैसला था, न कि त्यागी का व्यक्तिगत फैसला था. यह एक सामूहिक फैसला था, जिसका पीएमओ हिस्सा था'.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को वायु सेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी और अन्य को 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया था.
पिछली संप्रग सरकार के दौरान ब्रिटेन स्थित अगस्तावेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद में 450 करोड़ रुपये की रिश्वत के कथित लेन-देन के आरोप में ये गिरफ्तारियां हुई हैं.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि 2007 में सेवानिवृत हुए 71 साल के त्यागी, संजीव और चंडीगढ़ में रहने वाले वकील गौतम खेतान को सीबीआई मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. करीब चार घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
करीब तीन साल पहले सामने आए इस मामले में सीबीआई की ओर से की गई ये पहली गिरफ्तारियां है. रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच के लिए सीबीआई ने 2013 में प्राथमिकी दर्ज की थी. जांच एजेंसी ने प्राथमिकी तब दर्ज की थी जब इटली में इस मामले में हो रही अदालती सुनवाई के दौरान अभियोजकों ने अगस्तावेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमेकेनिका के प्रमुख के खिलाफ इस करार में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
शुक्रवार शाम के वक्त दिए गए एक बयान में सीबीआई प्रवक्ता देवप्रीत सिंह ने बताया था कि यह आरोप है कि वायुसेना प्रमुख ने अन्य आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश की और 2005 में भारतीय वायुसेना का यह रुख बदलने के लिए तैयार हो गए कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की 6000 मीटर की सर्विस सीलिंग अनिवार्य परिचालन जरूरत है और इसे घटाकर 4500 मीटर कर दिया.
देवप्रीत ने कहा कि परिचालन जरूरतों में ऐसे बदलाव से ब्रिटेन स्थित कंपनी (अगस्तावेस्टलैंड) वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों के लिए प्रस्ताव के अनुरोध (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) में हिस्सेदारी लेने योग्य हो गई. सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान खुलासा हुआ कि उनके चचेरे भाई और एक वकील सहित बिचौलियों..रिश्तेदारों के जरिए आरोपी वेंडरों से रिश्वत कबूल कर ब्रिटेन स्थित उक्त निजी कंपनी को अनुचित फायदा पहुंचाया गया. अवैध जरिए से प्रभाव का इस्तेमाल करने या संबंधित लोक सेवकों पर निजी प्रभाव डालने के लिए उन्होंने अवैध रिश्वत कबूल की.
पिछले तीन साल में मीडिया को दिए कई इंटरव्यू में त्यागी और उनके चचेरे भाई ने करार को प्रभावित करने के लिए किसी तरह की रिश्वत लेने के आरोपों से इनकार किया है.
आरोपों को खारिज करते हुए पूर्व एयर चीफ मार्शल त्यागी ने कहा था कि शर्तों में बदलाव एक सामूहिक फैसला था जिसमें भारतीय वायुसेना, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप और अन्य विभागों के अधिकारी शामिल थे.
सीबीआई ने दावा किया था कि खेतान ने यूरोपीय बिचौलिये ग्विडो हैश्के और कालरे गैरोसा से पैसे लेने की बात कबूल की है. हालांकि, उसने यह भी कहा कि वह करार को प्रभावित करने के लिए लिया गया कमीशन नहीं था.
(इनपुट भाषा से भी)
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