सुप्रीम कोर्ट में कावेरी जल विवाद पर सुनवाई चल रही है
नई दिल्ली:
कावेरी जल विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाई गई तकनीकी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी है. रिपोर्ट में सामाजिक और तकनीकी पहलुओं पर विचार कर निष्कर्ष निकाला गया है.
सामाजिक पहलू में बताया है कि
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पैनल इलाकों का दौरा कर 17 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दे. इससे पहले 4 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड बनाने के मामले को 18 अक्टूबर तक टाल दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को झटका देते हुए कहा था कि इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 2000 क्यूसिक पानी 7 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक तमिलनाडु को देने का आदेश दिया था.
वहीं, कावेरी जल विवाद पर केंद्र ने यू-टर्न लेते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कोर्ट 30 सितंबर के आदेश में संशोधन करे. केंद्र ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन का विरोध किया है. सरकार ने कहा कि यह काम संसद का है. बता दें कि कोर्ट ने 30 सितंबर के अपने आदेश में बोर्ड के गठन का आदेश दिया था.
कावेरी जल विवाद मामले की सुनवाई अब तीन जजों की बेंच करेगी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच का गठन किया गया है. जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच 18 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगी. पहले मामले की सुनवाई जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच कर रही थी.
सामाजिक पहलू में बताया है कि
- कर्नाटक और तमिलनाडु में पानी की कमी को लेकर किसान बदहाल हैं. किसान और मछुवारे बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.
- कर्नाटक के मंड्या जिले में बड़ी संख्या में खुदकुशी के मामले सामने आये हैं. कर्नाटक सरकार ने कावेरी बेसिन के 48 तालुका में से 42 तालुका को केंद्र सरकार के गाइडलाइन के तहत सूखा घोषित किया है.
- कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों राज्यों को तमिलनाडु और पुडुचेरी में सिंचाई के लिए लोगों के हित के लिए काम करना चाहिए और कर्नाटक के विकास के बारे में सोचना चाहिए.
- साथ ही राज्य के लोगों को इस बाबत शिक्षित करना चाहिए.
- पानी के वितरण के लिए जो तकनीक लगाई गई है वो पुरानी है. पानी के मोल को किसी ने नहीं समझा.
- किसानों को दिए जाने वाले पानी का तरीका एक सदी पुराना है. इसलिए पानी की कमी को दूर करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए. पानी के बंटवारे के लिए पाइप का इस्तेमाल करना चाहिए.
- समुद्र के तट के इलाकों में भूमिगत जल का इस्तेमाल नहीं हो सकता क्योंकि समुद्र की वजह से पानी नमकीन हो जाता है इसलिए मैटुर जलाशय से ही सिंचाई संभव है.
- तमिलनाडु सरकार की खेती को दी जाने वाली सब्सिडी की सुविधा तभी सफ़ल हो सकती है जब फ़सल के समय पूरा पानी उपलब्ध हो.
- पीने के पानी के लिए बंटवारे सिस्टम में बेहतरी लाने की जरूरत है. पानी के बहाव और कटाव के लिए ऑटोमैटिक वॉटर मैनजेमेंट सिस्टम लगाने की जरूरत है.
- सम्बन्धित राज्यों के सिंचाई प्रबंधन को किसानों के बीच पानी के बराबर बंटवारे की जरूरत है.
- मंगलवार 18 अक्तूबर को होगी सुनवाई.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पैनल इलाकों का दौरा कर 17 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दे. इससे पहले 4 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड बनाने के मामले को 18 अक्टूबर तक टाल दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को झटका देते हुए कहा था कि इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 2000 क्यूसिक पानी 7 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक तमिलनाडु को देने का आदेश दिया था.
वहीं, कावेरी जल विवाद पर केंद्र ने यू-टर्न लेते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कोर्ट 30 सितंबर के आदेश में संशोधन करे. केंद्र ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन का विरोध किया है. सरकार ने कहा कि यह काम संसद का है. बता दें कि कोर्ट ने 30 सितंबर के अपने आदेश में बोर्ड के गठन का आदेश दिया था.
कावेरी जल विवाद मामले की सुनवाई अब तीन जजों की बेंच करेगी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच का गठन किया गया है. जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच 18 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगी. पहले मामले की सुनवाई जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच कर रही थी.
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