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This Article is From Jul 25, 2016

वन्य जीवन को बचाने के लिए लाया जा रहा कैम्पा बिल फिर अटका, राज्यसभा में हंगामा

वन्य जीवन को बचाने के लिए लाया जा रहा कैम्पा बिल फिर अटका, राज्यसभा में हंगामा
नई दिल्ली: जंगलों के कटाव के बदले खाली ज़मीन पर पेड़ लगाने और वन्य जीवन को बचाने के लिये लाया जा रहा कैम्पा कानून सोमवार को एक बार फिर से हंगामे के कारण अटक गया। बिल पर बहस नहीं हो सकी। पर्यावरण मंत्री अनिल दवे ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुये कहा कि पार्टी इस बिल पर गंभीर नहीं है और जानबूझ कर इसे रोक रही है। इससे पहले लग रहा था कि सरकार ने कांग्रेस के साथ काफी हद तक तालमेल कर लिया है। गुरुवार को संसद में गुजरात में दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर बहस के चलते इस बिल पर चर्चा नहीं हो सकी थी और फिर इसे सोमवार के लिये टाल दिया गया था। कैम्पा बिल लोकसभा से पास हो चुका है और सरकार इसे जल्द से जल्द राज्यसभा से पास कराना चाहती है।

कैम्पा बिल को दोपहर में बहस के साथ साथ पास कराने के लिये लाया गया लेकिन कांग्रेस ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के लिये लाये गये प्राइवेट मेंबर बिल के वक्त हुए हंगामे को मुद्दा बना लिया और कार्यवाही नहीं चल सकी। फिर सदन को स्थगित कर दिया गया। इससे नाराज़ पर्यावरण मंत्री ने कहा कि कैम्पा फंड का करीब 42 हज़ार करोड़ रुपया राज्यों को बांटा जाना था और कांग्रेस शासित राज्यों को भी यह पैसा भेजा जाना था लेकिन पार्टी ने बिल पर सहयोग करने के बजाय हंगामा किया।

क्या है इस कानून का उद्देश्य
इस प्रस्तावित कानून का मकसद है उद्योग और कारखानों के लिये काटे गये जंगलों के बदले नये पेड़ लगाना और कमजोर जंगलों को घना और स्वस्थ बनाना। कंपनियां वन भूमि के इस्तेमाल के बदले मुआवजे के तौर पर कंपनेसेटरी अफॉरेस्टेशन फंड में पैसा जमा करती हैं जिसके लिये Compensatory Afforestation Management and Planning Authority (CAMPA) बनाई जा रही है।

कानून के तहत सरकार कैम्पा को संवैधानिक दर्जा देगी जो फंड के इस्तेमाल का काम देखेगी। सीएएफ फंड का 90 प्रतिशत राज्यों को और 10 प्रतिशत केंद्र के पास रहेगा। फंड का इस्तेमाल नये जंगल लगाने और वन्य जीवों को बसाने, फॉरेस्ट इकोसिस्टम को सुधारने के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिये होगा। कैम्पा फंड में अब तक 40 हज़ार करोड़ से अधिक रुपया जमा हो चुका है।

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