एनडीटीवी से बात करते पीडीपी सांसद मुजफ्फर बेग
नई दिल्ली:
पीडीपी के वरिष्ठ नेता और सांसद मुज़फ्फर बेग के मुताबिक़ बुरहान वानी को मारने से पहले राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भरोसे में नहीं लिया गया। वे ये भी कहते हैं कि ख़ुद पुलिस और सुरक्षा बलों की तरफ़ से ये दावा किया जाता था कि बुरहान वानी को वे जब चाहें 15-20 मिनट में ग़िरफ्तार कर सकते हैं।
बेग़ सवाल उठा रहे हैं कि अगर ऐसा था तो फिर उसे मारा क्यों गया। उसकी मौत के बाद किस तरह के हालात पैदा होंगे इस बारे में कोई ख़ुफिया जानकारी इकट्ठा क्यों नहीं की गई। दरअसल बेग़ इस पूरे मामले को ख़ुफिया तंत्र की नाक़ामी और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए ज़रूरी प्रबंधन की कमी का नतीजा बता रहे हैं। मुज़फ्फर बेग़ कहते हैं कि बुरहान वानी युवाओं में लोकप्रिय था तो इसलिए नहीं कि वह कोई बहुत बड़ा आतंकवादी था। वह बस ‘शो ब्वाय’ (पोस्टर ब्वाय) था। वह क्रिकेट भी खेलता था और इंटरनेट पर बहुत सक्रिय था। बेग़ पूछते हैं कि उसके खिलाफ कार्रवाई करनी ही थी तो फिर आपात योजना क्यों नहीं बनायी गई।
इस सवाल पर कि क्या जो हालात पैदा हुए हैं कश्मीर में उससे पीडीपी को ज़मीनी तौर पर नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि लोग सरकार से नाराज़ हैं, बेग़ कहते हैं कि नुकसान पीडीपी को नहीं देश को उठाना पड़ रहा है। पार्टी का उतार चढ़ाव चलता रहता है लेकिन फिलहाल जो हालात पैदा हुए हैं उससे दुनिया में देश की छवि को धक्का लगा है। उस छवि को जिसे बनाने में प्रधानमंत्री हमेशा कोशिश में लगे रहते हैं।
बेग़ इस बात को भी ग़लत मानते हैं कि कश्मीर में समस्या इसलिए पैदा हुई क्योंकि एक दूसरे की धुरविरोधी पीडीपी और बीजेपी ने मिल कर सरकार बनायी। वे याद दिलाते हैं कि समस्या 25 सालों से रही है। मौजूदा वक्त में हालात से ठीक ढंग से निपटा नहीं गया इसलिए घाटी को बुरे दिन देखने पड़ रहे हैं।
बेग़ कहते हैं कि ताक़त के बल पर मौजूदा माहौल को नहीं बदला जा सकता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बयान का कि ज़्यादा बल प्रयोग नहीं होना चाहिए, ज़िक्र कर बेग़ कहते हैं कि प्रधानमंत्री का ऐसा कहना इस बात का सबूत है कि कश्मीर में ज़रूरत से ज़्यादा बल प्रयोग किया गया। और बल प्रयोग से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा बल्कि इसके लिए सही तरीके से लोगों तक पहुंच बनाने की ज़रूरत है।
बेग़ की मांग है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करायी जाए। बुरहान वानी को मारे जाने की भी और उसके बाद पैदा हुए हालात की भी। जो इसके लिए ज़िम्मेदार हैं उनको सामने लाया जाना चाहिए। जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से हो तो बेहतर है। बेग़ की दूसरी और अहम मांग है कि कश्मीर के लोगों का दिल जीतना है तो जिस तरह से प्रधानमंत्री रहते अटल बिहारी वाजपेयी ने इंसानियत के दायरे में रहते हुए मसले के हल की बात की थी उसी नीति को अपनाया जाए। हालांकि बेग शांति स्थापना में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर आश्वस्त नहीं हैं, वह इसके लिए तैयार होगा कि नहीं, होगा तो कब होगा। लेकिन उनका साफ़ मानना है कि अंदरूनी तौर पर इस पूरे मामले को राजनीतिक फायदे या नुकसान के तौर पर नहीं देखना चाहिए।
बेग़ सवाल उठा रहे हैं कि अगर ऐसा था तो फिर उसे मारा क्यों गया। उसकी मौत के बाद किस तरह के हालात पैदा होंगे इस बारे में कोई ख़ुफिया जानकारी इकट्ठा क्यों नहीं की गई। दरअसल बेग़ इस पूरे मामले को ख़ुफिया तंत्र की नाक़ामी और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए ज़रूरी प्रबंधन की कमी का नतीजा बता रहे हैं। मुज़फ्फर बेग़ कहते हैं कि बुरहान वानी युवाओं में लोकप्रिय था तो इसलिए नहीं कि वह कोई बहुत बड़ा आतंकवादी था। वह बस ‘शो ब्वाय’ (पोस्टर ब्वाय) था। वह क्रिकेट भी खेलता था और इंटरनेट पर बहुत सक्रिय था। बेग़ पूछते हैं कि उसके खिलाफ कार्रवाई करनी ही थी तो फिर आपात योजना क्यों नहीं बनायी गई।
इस सवाल पर कि क्या जो हालात पैदा हुए हैं कश्मीर में उससे पीडीपी को ज़मीनी तौर पर नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि लोग सरकार से नाराज़ हैं, बेग़ कहते हैं कि नुकसान पीडीपी को नहीं देश को उठाना पड़ रहा है। पार्टी का उतार चढ़ाव चलता रहता है लेकिन फिलहाल जो हालात पैदा हुए हैं उससे दुनिया में देश की छवि को धक्का लगा है। उस छवि को जिसे बनाने में प्रधानमंत्री हमेशा कोशिश में लगे रहते हैं।
बेग़ इस बात को भी ग़लत मानते हैं कि कश्मीर में समस्या इसलिए पैदा हुई क्योंकि एक दूसरे की धुरविरोधी पीडीपी और बीजेपी ने मिल कर सरकार बनायी। वे याद दिलाते हैं कि समस्या 25 सालों से रही है। मौजूदा वक्त में हालात से ठीक ढंग से निपटा नहीं गया इसलिए घाटी को बुरे दिन देखने पड़ रहे हैं।
बेग़ कहते हैं कि ताक़त के बल पर मौजूदा माहौल को नहीं बदला जा सकता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बयान का कि ज़्यादा बल प्रयोग नहीं होना चाहिए, ज़िक्र कर बेग़ कहते हैं कि प्रधानमंत्री का ऐसा कहना इस बात का सबूत है कि कश्मीर में ज़रूरत से ज़्यादा बल प्रयोग किया गया। और बल प्रयोग से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा बल्कि इसके लिए सही तरीके से लोगों तक पहुंच बनाने की ज़रूरत है।
बेग़ की मांग है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करायी जाए। बुरहान वानी को मारे जाने की भी और उसके बाद पैदा हुए हालात की भी। जो इसके लिए ज़िम्मेदार हैं उनको सामने लाया जाना चाहिए। जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से हो तो बेहतर है। बेग़ की दूसरी और अहम मांग है कि कश्मीर के लोगों का दिल जीतना है तो जिस तरह से प्रधानमंत्री रहते अटल बिहारी वाजपेयी ने इंसानियत के दायरे में रहते हुए मसले के हल की बात की थी उसी नीति को अपनाया जाए। हालांकि बेग शांति स्थापना में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर आश्वस्त नहीं हैं, वह इसके लिए तैयार होगा कि नहीं, होगा तो कब होगा। लेकिन उनका साफ़ मानना है कि अंदरूनी तौर पर इस पूरे मामले को राजनीतिक फायदे या नुकसान के तौर पर नहीं देखना चाहिए।
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