संसद में मंगलवार को पीएनबी घोटाला और कार्ति चिदंबरम के मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ.
नई दिल्ली:
बजट सत्र के दूसरे दौर के दूसरे दिन भी संसद के दोनों सदनों में हंगामा होता रहा. विपक्ष पीएनबी घोटाले पर सवाल खड़े करता रहा तो सत्ता पक्ष कार्ति चिंदबरम का मसला उठाता रहा.
विपक्षी दलों ने "बड़ा मोदी मुर्दाबाद, छोटा मोदी मुर्दाबाद" के नारों से पीएनबी घोटाले पर लोकसभा में सरकार को घेरने की कोशिश की...और नीरव मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए. विपक्षी दलों के अपने भी मसले थे. टीडीपी के सांसद आंध्र प्रदेश को स्पेशल पैकेज नहीं मिलने से नाराज़ हैं. जबकि एआईएडीएमके ने कावेरी नदी विवाद का मसला उठाया. मंगलवार को सदन में इन मुद्दों को लेकर जमकर हंगामा होता रहा.
यह भी पढ़ें : बैंकिंग घोटाले के चलते राज्यसभा की कार्यवाही में बाधा
राज्यसभा में भी ऐसा ही हंगामा देखकर सभापति वेंकैया नायडू नाराज़ हो गए. सदन की कार्रवाई शुरू होते ही उन्होंने कहा, "ये संसद है, कोई बाज़ार नहीं है. यहां बैनर दिखाना नियमों के खिलाफ है." लेकिन विपक्ष पर इसका कोई असर नहीं हुआ. विपक्ष चाहता था कि राज्यसभा में नियम 267 के तहत बहस हो, जिसमें वोटिंग का प्रावधान है, लेकिन सरकार तैयार नहीं हुई.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एनडीटीवी से कहा, "विपक्ष सवालों से बचना चाहता है, इसलिए बहस के लिए तैयार नहीं हो रहा. जब बहस होगी तो कांग्रेस की अलग-अलग घोटालों में भूमिका की बात सामने आएगी. इसलिए कांग्रेस सवालों से बचना चाहती है."
संसद भवन थोड़ी देर के लिए जंतर-मंतर जैसा दिखा. एक तरफ़ नीरव मोदी के मुद्दे पर कांग्रेस, उसके पीछे टीडीपी और उसके भी पीछे डीएमके-एआईडीएमके. शिवसेना भी मराठी के लिए क्लासिकल भाषा का दर्जा मांगती दिखी. लोक सभा में कांग्रेस इससे भी नाराज़ है कि सदन में 193 के तहत होने वाली चर्चा का विषय ही बदल दिया गया. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एनडीटीवी से कहा कि स्थगन प्रस्ताव को लिए जो नोटिस कांग्रेस ने दिया है चर्चा उसी विषय पर होनी चाहिए.
VIDEO : संसद में कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन
साफ है, सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और यह विवाद जल्दी सुलझेगा, इसके आसार नहीं दिखाई देते हैं.
विपक्षी दलों ने "बड़ा मोदी मुर्दाबाद, छोटा मोदी मुर्दाबाद" के नारों से पीएनबी घोटाले पर लोकसभा में सरकार को घेरने की कोशिश की...और नीरव मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए. विपक्षी दलों के अपने भी मसले थे. टीडीपी के सांसद आंध्र प्रदेश को स्पेशल पैकेज नहीं मिलने से नाराज़ हैं. जबकि एआईएडीएमके ने कावेरी नदी विवाद का मसला उठाया. मंगलवार को सदन में इन मुद्दों को लेकर जमकर हंगामा होता रहा.
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राज्यसभा में भी ऐसा ही हंगामा देखकर सभापति वेंकैया नायडू नाराज़ हो गए. सदन की कार्रवाई शुरू होते ही उन्होंने कहा, "ये संसद है, कोई बाज़ार नहीं है. यहां बैनर दिखाना नियमों के खिलाफ है." लेकिन विपक्ष पर इसका कोई असर नहीं हुआ. विपक्ष चाहता था कि राज्यसभा में नियम 267 के तहत बहस हो, जिसमें वोटिंग का प्रावधान है, लेकिन सरकार तैयार नहीं हुई.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एनडीटीवी से कहा, "विपक्ष सवालों से बचना चाहता है, इसलिए बहस के लिए तैयार नहीं हो रहा. जब बहस होगी तो कांग्रेस की अलग-अलग घोटालों में भूमिका की बात सामने आएगी. इसलिए कांग्रेस सवालों से बचना चाहती है."
संसद भवन थोड़ी देर के लिए जंतर-मंतर जैसा दिखा. एक तरफ़ नीरव मोदी के मुद्दे पर कांग्रेस, उसके पीछे टीडीपी और उसके भी पीछे डीएमके-एआईडीएमके. शिवसेना भी मराठी के लिए क्लासिकल भाषा का दर्जा मांगती दिखी. लोक सभा में कांग्रेस इससे भी नाराज़ है कि सदन में 193 के तहत होने वाली चर्चा का विषय ही बदल दिया गया. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एनडीटीवी से कहा कि स्थगन प्रस्ताव को लिए जो नोटिस कांग्रेस ने दिया है चर्चा उसी विषय पर होनी चाहिए.
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साफ है, सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और यह विवाद जल्दी सुलझेगा, इसके आसार नहीं दिखाई देते हैं.
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