कोरोना काल में खजाने को दुरुस्त करने के लिए बजट में कार्बन टैक्स (Carbon Tax Budget ) या नई डिजिटल सेवाओं पर टैक्स (Digital Service Tax) की घोषणा संभव है. अर्नस्ट एंड यंग (Ernst and Young India) रिपोर्ट के अनुसार, सरकार खजाने बढ़ाने को ऐसे कुछ 10 कदम उठा सकती है.दरअसल, भारत ने पिछले साल एक अप्रैल 2020 से डिजिटल कंपनियों (Digital India) की कमाई पर दो फीसदी टैक्स लागू किया था. इस पर दिग्गज डिजिटल कंपनियों वाले देश अमेरिका ने कड़ा ऐतराज जताया था. हालांकि ओईसीडी (OECD) देशों के बीच लंबी चर्चा के बीच सरकार बजट में इसका दायरा बढ़ाने का ऐलान कर सकती है.आईटी मंत्रालय की ही रिपोर्ट कहती है कि भारत की डिजिटल इकोनॉमी (Digital Economy)अभी 200 अरब डॉलर की है, लेकिन कोरोना काल में नए बूम के बाद यह 2025 तक 5 गुना बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकती है. डिजिटल हेल्थकेयर और अन्य क्षेत्रों में टैक्स का दायरा बढ़ सकता है. वहीं कार्बन या ग्रीन टैक्स कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को पाने के साथ स्वच्छ पर्यावरण की सरकार की मुहिम को आगे बढ़ा सकता है.
इन कदमों पर विचार कर सकती है सरकार
- कोरोना के कारण इस साल बजट में सरकार को टैक्स संग्रह में कमी और विकास दर को रफ्तार देने के लिए ज्यादा सरकारी खर्च की दोहरी चुनौती से जूझना होगा. ऐसे में खजाने को बढ़ाने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले क्षेत्रों पर कार्बन टैक्स के साथ नई डिजिटल सेवाओं पर टैक्स की घोषणा कर सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को बजट पेश करेंगी.
- अर्नस्ट एंड यंग की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार सेस लगाकर नॉन लैप्सेबल नेशनल डिफेंस फंड भी बना सकती है. सीमा पर सुरक्षा चुनौतियों और बुनियादी ढांचे को यह बेहद अहम कदम हो सकता है.
- राजस्व वृद्धि के लिए मल्टीनेशनल इंटरप्राइजेज (एमएनई) पर भी बोझ बढ़ सकता है. कारपोरेट आय पर टैक्स (सीआईटी) में अस्थायी वृद्धि की संभावना बन सकती है.
- उच्च आय वाले लोगों (30 फीसदी स्लैब रेट से ऊपर) पर कोविड सेस लगाया जा सकता है. इस सेस का खर्च स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में हो सकता है. वेल्थ टैक्स या सेस की संभावना से भी इनकार किया जा सकता है.
- सरकार तेल, केरोसिन समेत सभी ईंधनों पर सब्सिडी में और कमी कर सकती है. इनके आयात से अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ता है.
- वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार सरकार कर संग्रह में राज्यों की हिस्सेदारी 42 से घटाकर 41 फीसदी कर सकती है.
- एलटीसी कैश वाउचर स्कीम को सरकारी के साथ निजी कंपनियों को दायरे में लाने के साथ वित्त वर्ष 2021-22 में भी लागू किया जा सकता है.
- उपभोग आधारित खर्च जैसे वर्क फ्राम होम (Work From Home Budget) के लिए इनसेंटिव या मौजूदा टैक्स कटौती को बढ़ाने का ऐलान हो सकता है.
- विदहोल्डिंग टैक्स (withholding tax ) का दायरा बढ़ाया जा सकता है. यह वो राशि है, जो नियोक्ता कंपनी कर्मचारियों के भत्ते या वेतन में से काट लेती है और सीधे सरकारी खजाने में जमा हो जाती है. यह उस साल कर्मचारी के अनुमानित आयकर के हिसाब से निर्धारित होती है.
- टैक्स कानूनों में अब और बदलाव की जगह उनके सरलीकरण (Tax Compliance) और कर अनुपालन पर फोकस के साथ डिजिटल पेमेंट व इंटरफेस को बेहतर बनाने पर फोकस होगा, ताकि कर चोरी पर अंकुश लगे.