प्रतीकात्मक फोटो
अगरतला:
बांग्लादेश में पूर्वोत्तर आतंकवादियों के शिविर हो सकते हैं लेकिन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पास इस संबंध में कोई विशेष सूचना नहीं है. एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी. बीएफएफ के त्रिपुरा सीमांत महानिरीक्षक एस.आर. ओझा ने मंगलवार शाम बताया, " पूर्वोत्तर के आतंकवादियों के कुछ शिविर बांग्लादेश में हो सकते हैं लेकिन हमारे पास वहां शिविर होने या उनके छुपे होने की कोई पुख्ता सूचना नहीं है."
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उन्होंने कहा, "बार्डर गार्ड बंग्लादेश (बीजीबी) हमें बहुत सहयोग करता है. कभी-कभी बीएसएफ और बीजीबी के जवान सीमा पार तस्करी के अलावा अपराध, घुसपैठ और अवांछित चहल-पहल पर नजर रखने के लिए सीमा पर संयुक्त गश्त लगाते हैं." ओझा ने कहा कि भारत-बंग्लादेश के बीच 856 किलोमीटर लंबी सीमा है जिसमें लगभग 21 किलोमीटर की सीमा बिना बाड़े की है. इसमें बाड़ लगाने का काम किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में 145 किलोमीटर के सीमा क्षेत्र में अतिरिक्त चौकसी बढ़ाने के लिए फ्लडलाइटिंग का इंतजाम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बंग्लादेश में बड़ी संख्या में रोहिंग्या समुदाय के आने के मद्देनजर पूर्वोत्तर क्षेत्र में किसी भी तरह के घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
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त्रिपुरा पुलिस के खुफिया अधिकारियों के अनुसार, बांग्लादेश में कम से कम त्रिपुरा आतंकियों के 15 शिविर अभी भी चल रहे हैं. यह शिविर मुख्यत: प्रतिबंधित नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के हैं.
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उन्होंने कहा, "बार्डर गार्ड बंग्लादेश (बीजीबी) हमें बहुत सहयोग करता है. कभी-कभी बीएसएफ और बीजीबी के जवान सीमा पार तस्करी के अलावा अपराध, घुसपैठ और अवांछित चहल-पहल पर नजर रखने के लिए सीमा पर संयुक्त गश्त लगाते हैं." ओझा ने कहा कि भारत-बंग्लादेश के बीच 856 किलोमीटर लंबी सीमा है जिसमें लगभग 21 किलोमीटर की सीमा बिना बाड़े की है. इसमें बाड़ लगाने का काम किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में 145 किलोमीटर के सीमा क्षेत्र में अतिरिक्त चौकसी बढ़ाने के लिए फ्लडलाइटिंग का इंतजाम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बंग्लादेश में बड़ी संख्या में रोहिंग्या समुदाय के आने के मद्देनजर पूर्वोत्तर क्षेत्र में किसी भी तरह के घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
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त्रिपुरा पुलिस के खुफिया अधिकारियों के अनुसार, बांग्लादेश में कम से कम त्रिपुरा आतंकियों के 15 शिविर अभी भी चल रहे हैं. यह शिविर मुख्यत: प्रतिबंधित नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के हैं.
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