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This Article is From Jun 12, 2019

एसिड अटैक मामला: प्रीति राठी के हत्यारे की फांसी की सज़ा को हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदला

वर्ष 2013 के इस मामले के दोषी अंकुर पंवार को वर्ष 2015 में एक विशेष अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिसके खिलाफ अंकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

एसिड अटैक मामला: प्रीति राठी के हत्यारे की फांसी की सज़ा को हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदला
प्रतीकात्मक चित्र
मुंबई:

बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रीति राठी तेज़ाब हमला मामले में 25-वर्षीय अंकुर पंवार की सजा को बदल दिया है. अब वह मृत्युदंड की जगह आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है. बता दें कि वर्ष 2013 के इस मामले के दोषी अंकुर पंवार को वर्ष 2015 में एक विशेष अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिसके खिलाफ अंकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका को न्यायमूर्ति बी.पी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति पी.डी. नाइक की खंडपीठ ने आंशिक रूप से मंज़ूर कर लिया है. खास बात यह है कि इस तरह का यह पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने आरोपी की सजा को कम की हो.

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पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या) और 326 (बी) (तेज़ाब का इस्तेमाल कर जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया है. ध्यान हो कि आरोपी अंकुर ने 23-वर्षीय नर्स प्रीति का पीछा कर उस पर तेज़ाब फेंका था, जिससे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. पुलिस की जांच में पता चला था कि प्रीति दिल्ली से आ रही ट्रेन से 2 मई 2013 को बांद्रा टर्मिनस पर उतरी थी, तभी अंकुर ने उसके चेहरे पर तेज़ाब फेंका था. इस घटना के बाद प्रीति की आंखों की रोशनी भी चली गई थी. 

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गौरतलब है कि देश में अदालत द्वारा आरोपी की सजा को बदलने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ में तीन लोगों को मौत के घाट उतारने वाले हत्यारे की सजा की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. इस मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा को वैध ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा देश में मौत की सजा वैध है और उस पर विचार करने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा तभी दी जा सकती है, जब दोषी के सुधरने की कोई गुंजाईश न हो.

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छत्तीसगढ़ में तीन लोगों की हत्या करने वाले 45 साल के छन्नू वर्मा ने हाइकोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए छन्नू वर्मा की फांसी की सजा को सही माना था. बता दें, पाटन ब्लाक के बोरिद गांव के रहने वाले छन्नू ने 19 अक्टूबर 2011 को रत्ना बाई(32 वर्षीय), उसके ससुर आनंदराम साहू (56 वर्षीय) और सास फिरंतिन बाई (55 वर्षीय) की चाकू से वार कर हत्या कर दी थी. जबकि पूर्व जिला पंचायत सदस्य मीरा बंछोर, उसके पति छन्नूलाल बंछोर व गेंदलाल वर्मा पर जानलेवा हमला कर घायल कर दिया था।

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इस मामले में मृतका रत्ना बाई के 9 साल के बेटे रोशन उर्फ सोनू की गवाही अहम थी. रोशन ने अपनी मां, दादी की हत्या होते देखी थी. पूर्व जिला पंचायत सदस्य मीरा बंछोर के घर जाकर उसे बताया था कि मां और दादी को छन्नू वर्मा ने मार डाला है. ध्यान हो कि छन्नू वर्मा के खिलाफ गांव की ही एक महिला के साथ बलात्कार का मामला दर्ज था. मृतकों व घायलों में से कुछ लोगों ने बलात्कार के मामले में छन्नू वर्मा के खिलाफ कोर्ट में गवाही दी थी. घटना के कुछ दिन पहले ही वह बलात्कार के आरोप से बरी होकर गांव लौटा था. अपने खिलाफ गवाही देने से वह नाराज था और बदले की भावना से सुनियोजित ढंग से तीन लोगों की हत्या कर दी. वह गांव के रामस्वरूप को भी मारना चाहता था. लेकिन वह उसे नहीं मिला.

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