नई दिल्ली:
बोफोर्स घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख और इस मामले की जांच से जुड़े रहे स्टेन लिंडस्ट्रोम ने यह कहकर कांग्रेस को राहत दी है कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी के खिलाफ रिश्वत लेने के साक्ष्य नहीं हैं। लेकिन यह कहकर उन्होंने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं कि राजीव ने इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की को बचाने की कोशिशों पर रोक नहीं लगाई और मामले की लीपापोती को लेकर किए जा रहे प्रयासों को लेकर मूकदर्शक बने रहे।
लिंडस्ट्रोम के खुलासे से बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन को भी राहत मिली है। वेबसाइट 'द हूट' को दिए साक्षात्कार में लिंडस्ट्रोम ने यह भी कहा है कि अमिताभ का नाम इसमें भारतीय जांच अधिकारियों ने घसीटा।
उधर, मामले के 25 साल बाद लिंडस्ट्रोम के इस खुलासे पर विपक्ष को कांग्रेस के खिलाफ एक और मुद्दा मिल गया है। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से इस मुद्दे पर संसद में स्पष्टीकरण मांगा है।
लिंडस्ट्रोम ने ही 1980 के दशक के आखिरी वर्षो में बोफोर्स तोप सौदे में दलाली का खुलासा किया था। तब 64 करोड़ रुपये के इस घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सहित कई अन्य पर बोफोर्स एबी कम्पनी से रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। यह मुद्दा सुर्खियों में रहा था। इसे नवम्बर 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण माना जाता है।
'द हूट' को दिए साक्षात्कार में लिंडस्ट्रोम ने कहा, "इस बात के साक्ष्य नहीं हैं कि 1,500 करोड़ रुपये के सौदे में राजीव ने रिश्वत ली। लेकिन वह मामले की लीपापोती चुपचाप देखते रहे और उन्होंने कुछ नहीं किया। बहुत से भारतीय संस्थानों का बचाव किया गया, निर्दोष लोगों को सजा दी गई, जबकि दोषियों को जाने दिया गया।"
लिंडस्ट्रोम ने कहा, "क्वात्रोक्की के खिलाफ पुख्ता सबूत थे। फिर भी स्वीडन या स्विट्जरलैंड में किसी को उनसे पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई।" उन्होंने यह भी कहा कि मामले में अमिताभ का नाम स्वीडन पहुंचे भारतीय जांच अधिकारियों ने जबरन घसीटा। उनका दावा है कि जांचकर्ताओं ने पहले उनसे इस मामले में अमिताभ का नाम जोड़ने को कहा था। उनके इससे इनकार करने पर उन्होंने स्वीडन के समाचार पत्र 'दागेन्स नाइहीटर' के साथ यह उठाया।
अमिताभ ने इस खुलासे पर खुशी जताई, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इन वर्षों में वह जिस पीड़ा से गुजरे उसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। अपने ब्लॉग 'बिगबी डॉट बिगअड्डा डॉट कॉम' पर अमिताभ ने लिखा, "इस घटना ने बरसों तक मुझे बेहद पीड़ा दी।"
उधर, विपक्ष इस खुलासे को लेकर हमलावर हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने लिंडस्ट्रोम के खुलासों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "दिवंगत राजीव गांधी की पूरी सरकार क्वात्रोक्की को बचाने में जुटी हुई थी। सरकार और गांधी परिवार से आखिर क्वात्रोक्की का क्या रिश्ता था, जो पूरी सरकार उसे बचाने में जुटी हुई थी... यह एक गम्भीर मामला है।"
इससे सहमति जताते हुए भाकपा नेता डी. राजा ने कहा, "सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इस खुलासे को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उन्हें इस पर जवाब देना होगा कि क्वात्रोक्की को कैसे भारत से निकलने का सुरक्षित रास्ता दिया गया।"
वहीं, कांग्रेस ने अन्य पार्टियों पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राजीव के खिलाफ आरोप लगाने वालों को माफी मांगनी चाहिए। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, "यह दुखद है कि बिना किसी सबूत के ऐसा गम्भीर आरोप लगाया गया। ऐसा करने वालों को आज भी इसका पछतावा नहीं है। उन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि मामला बंद हो चुका है और इसे फिर से खोलने की आवश्यकता नहीं है।
लिंडस्ट्रोम के खुलासे से बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन को भी राहत मिली है। वेबसाइट 'द हूट' को दिए साक्षात्कार में लिंडस्ट्रोम ने यह भी कहा है कि अमिताभ का नाम इसमें भारतीय जांच अधिकारियों ने घसीटा।
उधर, मामले के 25 साल बाद लिंडस्ट्रोम के इस खुलासे पर विपक्ष को कांग्रेस के खिलाफ एक और मुद्दा मिल गया है। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से इस मुद्दे पर संसद में स्पष्टीकरण मांगा है।
लिंडस्ट्रोम ने ही 1980 के दशक के आखिरी वर्षो में बोफोर्स तोप सौदे में दलाली का खुलासा किया था। तब 64 करोड़ रुपये के इस घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सहित कई अन्य पर बोफोर्स एबी कम्पनी से रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। यह मुद्दा सुर्खियों में रहा था। इसे नवम्बर 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण माना जाता है।
'द हूट' को दिए साक्षात्कार में लिंडस्ट्रोम ने कहा, "इस बात के साक्ष्य नहीं हैं कि 1,500 करोड़ रुपये के सौदे में राजीव ने रिश्वत ली। लेकिन वह मामले की लीपापोती चुपचाप देखते रहे और उन्होंने कुछ नहीं किया। बहुत से भारतीय संस्थानों का बचाव किया गया, निर्दोष लोगों को सजा दी गई, जबकि दोषियों को जाने दिया गया।"
लिंडस्ट्रोम ने कहा, "क्वात्रोक्की के खिलाफ पुख्ता सबूत थे। फिर भी स्वीडन या स्विट्जरलैंड में किसी को उनसे पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई।" उन्होंने यह भी कहा कि मामले में अमिताभ का नाम स्वीडन पहुंचे भारतीय जांच अधिकारियों ने जबरन घसीटा। उनका दावा है कि जांचकर्ताओं ने पहले उनसे इस मामले में अमिताभ का नाम जोड़ने को कहा था। उनके इससे इनकार करने पर उन्होंने स्वीडन के समाचार पत्र 'दागेन्स नाइहीटर' के साथ यह उठाया।
अमिताभ ने इस खुलासे पर खुशी जताई, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इन वर्षों में वह जिस पीड़ा से गुजरे उसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। अपने ब्लॉग 'बिगबी डॉट बिगअड्डा डॉट कॉम' पर अमिताभ ने लिखा, "इस घटना ने बरसों तक मुझे बेहद पीड़ा दी।"
उधर, विपक्ष इस खुलासे को लेकर हमलावर हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने लिंडस्ट्रोम के खुलासों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "दिवंगत राजीव गांधी की पूरी सरकार क्वात्रोक्की को बचाने में जुटी हुई थी। सरकार और गांधी परिवार से आखिर क्वात्रोक्की का क्या रिश्ता था, जो पूरी सरकार उसे बचाने में जुटी हुई थी... यह एक गम्भीर मामला है।"
इससे सहमति जताते हुए भाकपा नेता डी. राजा ने कहा, "सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इस खुलासे को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उन्हें इस पर जवाब देना होगा कि क्वात्रोक्की को कैसे भारत से निकलने का सुरक्षित रास्ता दिया गया।"
वहीं, कांग्रेस ने अन्य पार्टियों पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राजीव के खिलाफ आरोप लगाने वालों को माफी मांगनी चाहिए। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, "यह दुखद है कि बिना किसी सबूत के ऐसा गम्भीर आरोप लगाया गया। ऐसा करने वालों को आज भी इसका पछतावा नहीं है। उन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि मामला बंद हो चुका है और इसे फिर से खोलने की आवश्यकता नहीं है।
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