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This Article is From Jul 08, 2021

मुंबई में खून की किल्लत, कोरोना महामारी-वैक्सीन के चलते सामने नहीं आ रहे ब्लड डोनर

जेजे महानगर ब्लड बैंक के अफसर डॉक्टर राहुल जैन ने कहा, 'ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया, सिजेरियन, बाईपास, दुर्घटना जैसे मामलों के मरीजों को रक्त की तुरंत आवश्यकता होती है, लेकिन ब्लड नहीं है.'

मुंबई में खून की किल्लत, कोरोना महामारी-वैक्सीन के चलते सामने नहीं आ रहे ब्लड डोनर
आसानी से मिलने वाले ब्लड ग्रुप भी नहीं मिल रहे हैं. (फाइल फोटो)
मुंबई:

मुंबई (Mumbai Blood Bank) में खून का संकट गहराता जा रहा है. लोगों की जान बचाने वाले ब्लड बैंक सूखे पड़े हैं. रक्त की कमी के चलते अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है, तो कुछ को दूसरों से मिन्नतें कर ब्लड डोनेशन के लिए राजी करना पड़ रहा है. आसानी से मिलने वाले ब्लड ग्रुप भी नहीं मिल रहे हैं. अमरसेन गुप्ता ब्लड कैंसर से जूझ रहे अपने चार साल के बच्चे के लिए अलग-अलग ब्लड बैंक के चक्कर काट रहे हैं. गुप्ता मुंबई के JJ ब्लड बैंक पहुंचे, खून देकर अब खून मिलने की आस है. अमरसेन ब्लड बैंक अफसर से बात करते-करते रो पड़े.

उन्होंने रोते हुए अफसर से कहा, 'खून मिलने में बहुत तकलीफ हुई साहब. जहां-जहां सब ने कहा, मैं वहां-वहां भागता गया. मैं मलाड से आया हूं, गोरापुर का हूं, जान-पहचान के लोग तो हैं पर पता नहीं कौन ब्लड डोनेट करेंगे या नहीं करेंगे. खून मिल तो जाएगा न सर, बहुत जगह भटका हूं.'

शाकिब और ज्योतिराम भी अपने रिश्तेदार के लिए खून के बदले यहां खून दान कर रहे हैं. मुंबई में 59 ब्लड बैंक हैं. बड़े ब्लड बैंक में शामिल जेजे महानगर ब्लड बैंक का कहना है कि खून दान करने वाले बड़ी मुश्किल से सामने आ रहे हैं और ब्लड की मांग तेज है. रिश्तेदार खून के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं और ब्लड बैंक मदद नहीं कर पा रहे हैं.

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जेजे महानगर ब्लड बैंक के अफसर डॉक्टर राहुल जैन ने कहा, 'ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया, सिजेरियन, बाईपास, दुर्घटना जैसे मामलों के मरीजों को रक्त की तुरंत आवश्यकता होती है, लेकिन ब्लड नहीं है. रिश्तेदार पूरे शहर में भटक रहे हैं लेकिन उन्हें ब्लड नहीं मिल रहा. हमारे सामने वो रो रहे हैं, गिड़गिड़ा रहे हैं लेकिन हम उनकी मदद नहीं कर पा रहे.'

उन्होंने आगे कहा, 'आज अगर हमारे पास कोई आता है कि उनको ब्लड चाहिए तो हमको उनको रिक्वेस्ट करनी पड़ रही है कि पहले आप ब्लड डोनेट करें या डोनर दें, क्योंकि हम भी हेल्प लेस हैं. इतने साल हमने सर्व किया है, अब नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि ब्लड ऐसी चीज है, जो फैक्ट्री में तो बनाई जा नहीं सकती. जब तक सामने आकर लोग डोनेट नहीं करेंगे तब तक हम पेशेंट को ब्लड नहीं दे पाएंगे.'

इस बीच मुंबई में आसानी से मिलने वाले ब्लड ग्रुप भी नदारद हैं. ब्लड बैंक जन संपर्क अधिकारी नीता डांगे कहती हैं, 'महामारी और वैक्सीनेशन के कारण जो ग्रुप हमको आसानी से मिलते थे- जैसे O+, A+, B+ ये ब्लड ग्रुप का भी बहुत शॉर्टेज चल रहा है. हम सभी ब्लड बैंक एक दूसरे से कोऑर्डिनेशन करके मरीजों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. हमारा इन-हाउस इतना कलेक्शन नहीं है पर जो कैंप हम लगाते हैं, वहां से 3000 कलेक्शन होता था, पर पिछले साल से 800 तक भी मुश्किल से हो पा रहा है.'

बताते चलें कि कोविड और वैक्सीन के बाद ब्लड डोनेशन को लेकर कई तरह के भ्रम हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वैक्सीन लेने के 15 दिनों बाद और कोविड से रिकवरी के 28 दिन बाद रक्त दान किया जा सकता है.

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