सहारनपुर में हिंसा को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार पर 'प्रशासनिक चूक' का आरोप लगाया है, वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया है कि समाजवादी पार्टी वोट बैंक की राजनीति में लिप्त है।
आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सपा ने कहा कि राज्य में शांति भंग करने का प्रयास है और सांप्रदायिकता एवं असामाजिक तत्वों के लिए कोई स्थान नहीं है। सपा नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि अगर विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति करने का प्रयास करता है, तो कानून अपना काम करेगा।
कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी ने स्थानीय अधिकारियों पर प्रशासनिक चूक का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर यह तथ्य है कि इस मुद्दे पर अदालत का आदेश था और एक पक्ष द्वारा पुलिस से मदद मांगी गई थी, तो यह अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वे कोई समाधान निकालते और दोनों पक्षों को यह समझाते कि अदालत के आदेश का पालन किया जाना है।
उन्होंने कहा, दो समुदायों के बीच गतिरोध था और धार्मिक स्थान पुलिस स्टेशन के पास है। अगर यह तथ्य है कि अदालत का आदेश था और उन्होंने पुलिस से मदद मांगी थी, तो यह पुलिस की जिम्मेदारी थी कि वह दोनों पक्षों को बैठाती और कोई समाधान निकालती। उन्होंने कहा, विवाद को बढ़ने दिया जाना एक प्रशासनिक चूक है और इसके लिए कुछ हद तक स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है।
बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में प्रशासन चलाने में पूरी तरह नाकाम रही है। राज्य में शासन कर रहे लोग खुद ही चाहते हैं कि सांप्रदायिक तनाव रहे, ताकि वे वोट बैंक की राजनीति कर सकें।
उन्होंने कहा, बीजेपी सौहार्द्र और शांति चाहती है। हर व्यक्ति को पूजा करने का अधिकार है और उसमें हस्तक्षेप करने का किसी को अधिकार नहीं है, लेकिन अखिलेश यादव की सरकार हर मोर्चे पर कमजोर है। यह संदेश गया है कि राज्य में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। जब भी ऐसी तनावपूर्ण स्थिति आती है, सरकार अक्षम साबित होती है।
आरजेडी के मनोज झा ने आरोप लगाया कि केंद्र में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है। झा ने कहा कि चुनाव लड़े जाते हैं, जीत और हार होती रहती है। लेकिन अगर आप देश की आत्मा खो देते हैं, तो कितना भी प्रयास कर लें, आप इसे वापस नहीं पा सकते।
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