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This Article is From Mar 29, 2017

GST को बीजेपी ने 7-8 साल रोके रखा, 12 लाख करोड़ का नुकसान कराया, कौन भरेगा?

GST को बीजेपी ने 7-8 साल रोके रखा, 12 लाख करोड़ का नुकसान कराया, कौन भरेगा?
जीएसटी संबंधी विधेयकों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सदस्य एम वीरप्पा मोइली ने सवाल उठाय...
नई दिल्ली: विपक्षी दल के रूप में भाजपा पर जीएसटी का मार्ग बाधित करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पार्टी ने आज कहा कि इस महत्वपूर्ण कर सुधार में सात-आठ वर्ष की देरी के कारण 12 लाख करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है और इस नुकसाई की भरपाई कौन करेगा ? लोकसभा में जीएसटी संबंधी विधेयकों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सदस्य एम वीरप्पा मोइली ने कहा कि राजग सरकार इसे क्रांतिकारी कर सुधार पहल बता रही है लेकिन इन विधेयकों के प्रावधानों से स्पष्ट है कि यह कोई ‘गेम चेंजर’ नहीं बल्कि आगे की ओर एक छोटा सा कदम भर है. प्रस्तावित जीएसटी प्रणाली के प्रावधानों की आलोचना करते हुए मोइली ने कहा कि यह प्रौद्योगिकी दु:स्वप्न होगा और इसके प्रावधान बेहद आघातकारी हैं.

उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार जीएसटी विधेयक को लाई थी. लेकिन उस समय उन लोगों ने इसका विरोध किया था जो आज सत्ता में है. इसके बाद सात.आठ वर्ष गुजर गए. देश को प्रतिवर्ष 1.5 लाख करोड़ रूपये का नुकसान हुआ. इस अवधि में करीब 12 लाख करोड़ रूपये का नुकसान हुआ. इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा. कांग्रेस नेता ने कहा कि जीएसटी के प्रस्तावित प्रावधान इसकी मूल भावना के विपरीत हैं और कई तरह के कर, उपकर और सरचार्ज बने रहने के कारण एक राष्ट्र, एक कर की अवधारणा मिथक ही हैं. उन्होंने कहा कि वस्तुओं की अंतर राज्य आवाजाही के बारे में जो प्रावधान किये गए हैं, वह लालफीताशाही को बढ़ावा देने वाले हैं. जीएसटी में उच्च कर प्रावधान उद्योगों पर आघात करने वाले हैं.

मोइली ने कहा कि इसे राज्यसभा में विचार के लिए नहीं लाया जाना एक आघात है. यह बहुमत का दुरूपयोग है. मोइली ने कहा कि वर्तमान मुक्त क्षेत्र, पूर्वोत्तर से जुड़े सेज के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. पूर्वोत्तर की परेशानियों पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह बाजार से जुड़ा विषय है जो मांग और आपूर्ति से जुड़ा होता है. बाजार आधारित अर्थव्यवस्था के संदर्भ में क्या पहल की जा रही है.

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि रियल इस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव आया था. रियल इस्टेट में काफी कालाधन जुड़ा होता है. सरकार ने इस सुझाव को नजरंदाज कर दिया. उन्होंने सवाल किया कि क्या किसी लॉबी का दबाव था? उन्होंने कहा कि इसमें कुछ ऐसे प्रावधान है जो कारोबार को सुगम बनाना सुनिश्चित करने में सहायक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र, एक कर की बात कही जा रही है लेकिन कई कर, उपकर और सरचार्ज हैं. जीएसटी परिषद केवल एक समन्वय करने वाला निकाय है. घाटा उठाने वाले राज्यों को पर्याप्त मुआवजा देने का प्रावधान नहीं किया गया है. 40 प्रतिशत कर पहल को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया गया है.

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