ममता बनर्जी के ऑफिस की ओर जा रहे BJP प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज

पुलिस ने मार्च कर रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ आंसू गैस और वाटर केनन का इस्‍तेमाल किया.

खास बातें

  • लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध के बावजूद किया यह प्रदर्शन
  • प्रदर्शन को बीजेपी के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है
  • इसके लिए बीजेपी नेता तेजस्‍वी सूर्या खासतौर पर कोलकाता पहुंचे
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी(Mamata Banerjee) के कोलकाता के नाबन्‍ना स्थित ऑफिस पर बीजेपी के मार्च को पुलिस ने बल प्रयोग कर रोक दिया है. पुलिस ने मार्च कर रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ आंसू गैस और वाटर केनन का इस्‍तेमाल किया. राज्‍य में बीजेपी कार्यकताओं की हत्‍या के विरोध में पार्टी द्वार यह प्रदर्शन किया जा रहा है.पश्चिम बंगाल के सचिवालय नाबन्‍ना के बाहर सैकड़ों की संख्‍या में मौजूद बीजेपी प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई. वीडियो विजुअल में देखा जा सकता है कि पुलिस आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्‍तेमाल करके प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर रही है. बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी ने कहा, 'पुलिस हमारे कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज कर रही है. खिदिरपुर की ओर से पथराव किया जा रहा है क्‍या पुलिस इसको नहीं देख रही.'

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बीजेपी ने बड़े स्‍तर पर लोगों के एकत्र होने पर राज्‍य सरकार के प्रतिबंध के बावजूद यह प्रदर्शन किया. बीजेपी की यूथ विंग के नए प्रमुख तेजस्‍वी सूर्या इस प्रदर्शन में भाग लेने के लिए खासतौर पर कोलकाता पहुंचे थे. एक तरह से इस प्रदर्शन को राजधानी में बीजेपी के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा था. कोरोना महामारी और नियमों का उल्‍लंघन कर आयोजित किए गए प्रदर्शन को लेकर पूछे गए सवाल पर बीजेपी के बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, 'सभी कार्यकर्ता मास्‍क पहने हैं क्‍या नियम केवल हमारे लिए हैं? ममता जी हजारों लोगों के साथ प्रदर्शन करती है और सोशल डिस्‍टेंसिंग का पाठ हमें ही पढ़ाया जा रहा है. क्‍या यही नियम उन पर लागू नहीं होते?'

राज्‍य सचिवालय बुधवार को सेनिटाइजेशन के लिए बंद रखा गया था, बीजेपी ने इसे मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के 'भय का संकेत' करार दिया है.सचिवालय में ही मुख्यमंत्री का ऑफिस भी है. गौरतलब है कि राज्‍य सरकार ने विपक्षी पार्टी को इसके लिए अनुमति नहीं दी है. इसके पीछे ममता सरकार ने कुछ अन्य वजहों के साथ बुधवार को शाहीन बाग आंदोलन पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक स्थलों पर दिक्कतें पैदा करके कोई आंदोलन नहीं किया जा सकता. 

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