बीजेपी (BJP) सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए क़ानून बनाने की मांग की है. उनका कहना है कि संसदीय कार्यवाही पर किसी सांसद को ट्रोल करने का हक़ सोशल मीडिया को नहीं होना चाहिए. दरअसल सोमवार को गिरती जीडीपी का बचाव करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा था कि जीडीपी का कोई मतलब नहीं है, इसलिए उन्हें ट्रोल किया गया. झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से सांसद दुबे ने लोकसभा में शून्य काल के दौरान यह मामला उठाया. दुबे ने कहा, 'मैं आपसे (लोकसभा अध्यक्ष से) सुरक्षा की मांग करता हूं सर. जब संविधान का निर्माण हुआ था, अनुच्छेद 105 और 105(2) में यह उल्लेखित था कि सदन में जिस मुद्दे पर भी चर्चा होगी, मामले की रिपोर्टिग समुचित ढंग से होगी और कोई भी सदस्य बिना किसी डर और पक्षपात के अपना विचार रख सकेगा. जब अनुच्छेद 105 का निर्माण हुआ था, तब सोशल मीडिया और ब्रेकिंग न्यूज नहीं था.'
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सोमवार को कराधान (संशोधन) विधेयक, 2019 पर सदन में जीडीपी पर दिए अपने बयान का संदर्भ देते हुए, सांसद ने कहा, 'मैं जीडीपी पर चर्चा कर रहा था और मैं साइमन कुज्नेत्स की एक रिपोर्ट का संदर्भ दे रहा था, जिन्होंने जीडीपी का निर्माण किया था.' उन्होंने कहा, 'अपनी रिपोर्ट में, कुज्नेत्स ने खुद 1934 में स्वीकार किया था कि वह जीडीपी की अवधारणा से खुश नहीं हैं. इस पर पूरी दुनिया में चर्चा चल रही है.'
Nishikant Dubey, BJP MP in Lok Sabha: GDP 1934 mein aaya issey pehle koi GDP nahi tha...... Keval GDP ko Bible, Ramayan ya Mahabharat maan lena satya nahi hai aur future mein GDP ka koi bahot zyada upyog bhi nahi hoga. pic.twitter.com/MVF4j07KF9
— ANI (@ANI) December 2, 2019
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नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिसर्च के एक अर्थशास्त्री साइमन ने अमेरिका में अपनी रिपोर्ट में जीडीपी के निर्माण की मूल अवधारणा पेश की थी. दुबे ने कहा, 'मैंने 2008 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी द्वारा बनाई गई एक समिति की रिपोर्ट को सामने रखा था, जिसमें अमर्त्य सेन, प्रोफेसर जोसेफ कीथ और चिन पॉल शामिल थे.' उन्होंने कहा, 'साइमन कुज्नेत्स ने 1934 में जो कहा था, वहीं इनलोगों ने अपनी रपटों में कहा.' सांसद ने कहा कि उनके पिता, माता और पूरे परिवार को गाली दी गई. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से कहा, 'इसलिए, मैं निजी तौर पर आपके जरिए सरकार से आग्रह करना चाहता हूं कि इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए.'
सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से आग्रह किया कि वह किसी के भी द्वारा की गई इस तरह की गतिविधि से संरक्षण प्रदान करने के लिए सांसदों के संरक्षक के तौर पर जरूरी कदम उठाएं, चाहे वह सोशल मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया हो.
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