केंद्र सरकार ने किसानों जुड़े तीनो विधेयकों (Farmers Bills) को राज्य सभा (Rajya Sabha) से पास कराने के लिए नई रणनीति बनाई है. इसके तहत विपक्षी पार्टियों को भी पाले में लाने की कोशिश हो रही है. सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से शिवसेना और एनसीपी के नेताओं से भी संपर्क साधा गया है और बिल से जुड़ी उनकी शंकाओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. इस बीच बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है. 245 सदस्यों वाली राज्य सभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है. फिलहाल दो स्थान खाली हैं. ऐसे में बहुमत का आँकड़ा 122 है.
सत्ता पक्ष का गणित
सियासी गणित की बात करें तो बीजेपी के अपने 86 सांसद हैं। एनडीए के घटक दलों व अन्य छोटी पार्टियाँ मिला कर उसके पास कुल 105 का संख्या बल है। इसमें अकाली दल के तीन सांसद शामिल नहीं हैं क्योंकि उन्होंने इन बिलों का विरोध करने का फैसला किया है. बहुमत के लिए कम पड़े 17 सांसदों के समर्थन के लिए हमेशा की तरह बीजेपी की नज़रें BJD, AIADMK, TRS, YSRC और TDP पर है। संसद के ऊपरी सदन में बीजू जनता दल के 9, एआईएडीएमके के 9, टीआरएस के 7, वाईएसआर कांग्रेस के 6 और टीडीपी के 1 सांसद हैं। सरकार को भरोसा है कि इन विधेयकों के समर्थन में कम से कम 135 से ज्यादा वोट पड़ेंगे।
विधेयक के विरोध में
राज्य सभा में 40 सांसदों वाली कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी है जो बिलों के विरोध में है। यूपीए के अन्य दलों के सांसदों और टीएमसी को मिला कर संख्या 85 के आसपास है. इनमें एनसीपी के चार और शिवसेना के तीन सांसद भी हैं जिनसे, सरकार ने संपर्क साधा है। उधर, एनडीए गठबंधन के घटक दल शिरोमणि अकाली दल के तीन राज्यसभा सांसद बिल के विरोध में वोट करेंगे. आम आदमी पार्टी के तीन सदस्य, समाजवादी पार्टी के आठ सांसद, बीएसपी के चार सांसद भी बिल के विरोध में वोट करेंगे. यानी करीब सौ सांसद बिल के विरोध में हैं.
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राज्य सभा के 10 सांसद कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं जिनमें बीजेपी, कांग्रेस आदि के सांसद शामिल हैं. अलग-अलग पार्टियों के 15 सांसद इस सत्र में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. ऐसे में सरकार को इन तीन बिलों को पारित कराने में ज़्यादा दिक्कत नहीं आएगी. विपक्ष इन्हें सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग कर रहा है. अगर सरकार संख्या बल जुटाने में नाकाम रही तो विपक्ष की ये मांग स्वीकार करनी पड़ सकती है.
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