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This Article is From Oct 25, 2020

नीतीश के खासमखास हैं श्रवण कुमार, साथ बनाई थी समता पार्टी, 6 बार से फतह कर रहे नालंदा का दुर्ग

श्रवण कुमार ने छात्र जीवन में ही जेपी मूवमेंट के जरिए राजनीति में कदम रखा और पहली बार समता पार्टी के टिकट पर 1995 में नालंदा सीट से विधायक चुने गए. तब से लेकर आजतक छह बार हुए सभी विधान सभा चुनावों में नालंदा सीट से वही जीतते आ रहे हैं.

नीतीश के खासमखास हैं श्रवण कुमार, साथ बनाई थी समता पार्टी, 6 बार से फतह कर रहे नालंदा का दुर्ग
बिहार सरकार में ग्रामीण विकास कार्य मंत्री हैं श्रवण कुमार, नालंदा से सातवीं बार जीत के लिए कर रहे कोशिश.
नई दिल्ली:

बिहार की नीतीश कुमार सरकार में ग्रामीण विकास कार्य मंत्री श्रवण कुमार न केवल मुख्यमंत्री के सजातीय (कुर्मी) हैं बल्कि उनके खासमखास भी हैं. सीएम के गृह जिले से आने वाले और वहीं से चुनाव जीतकर आने वाले श्रवण कुमार सातवीं बार विधायक बनने की कतार में हैं. वो 1995 से लगातार नालंदा विधान सभा सीट से जीतते आ रहे हैं. 61 वर्षीय श्रवण कुमार मूलतः समाज सेवा से जुड़े रहे हैं. जब लालू यादव से अलग होकर नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस ने साल 1994 में समता पार्टी का गठन किया था, तब से श्रवण कुमार नीतीश के खास सिपाही रहे हैं.

श्रवण कुमार ने इंटर तक ही पढ़ाई की है. छात्र जीवन में ही उन्होंने जेपी मूवमेंट के जरिए राजनीति में कदम रखा और पहली बार समता पार्टी के टिकट पर 1995 में नालंदा सीट से विधायक चुने गए. तब से लेकर आजतक छह बार हुए सभी विधान सभा चुनावों में नालंदा सीट से वही जीतते आ रहे हैं. 1995 में समता पार्टी के मात्र सात उम्मीदवार जीते थे, उनमें से एक श्रवण कुमार भी थे. 

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श्रवण कुमार का राजनीतिक सफर 30 वर्षों से ज्यादा का रहा है. उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर 1995 और 2000 का विधान सभा चुनाव जीता. बाद में पार्टी का विलय जेडीयू में हो गया. तब से लगातार जेडीयू के टिकट पर जीतते आ रहे हैं. श्रवण कुमार बिहार विधान सभा में जेडीयू के मुख्य सचेतक भी रहे हैं. साथ ही नीतीश और मांझी कैबिनेट में मंत्री भी रहे हैं.

नालंदा विधानसभा इलाका कुर्मी बहुल है. इसके अलावा यहां ईबीसी, एससी-एसटी और मुस्लिम आबादी भी अच्छी है. करीब तीन लाख मतदाताओं में 90 हजार के करीब कोचैइसा कुर्मी,  12 हजार के करीब घमैला कुर्मी वोटर हैं. इनके अलावा 13 हजार कुशवाहा, 22 हजार अल्पसंख्यक, 30 हजार यादव मतदाता हैं. इस इलाके में सवर्ण मतदाताओं में भूमिहार 7 हजार, राजपूत 15 हजार हैं, एससी-एसटी और ईबीसी के भी करीब एक लाख वोट हैं.

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साल 2015 के चुनाव में जेडीयू और राजद का महागठबंधन होने के बावजूद श्रवण कुमार लगभग 3000 वोटों के अंतर से ही जीत सके थे. नीतीश कुमार के नाम पर कुर्मी समाज श्रवण कुमार को वोट करता रहा है लेकिन इस बार कोचैइसा कुर्मी जिनका सबसे ज्यादा वोट शेयर है, नीतीश से नाराज बताया जा रहा है. मूलत: खेतीबारी करने वाला यह समुदाय नीतीश कुमार के शासनकाल में सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से नाराज है.

इसके अलावा यादव और मुस्लिम मतदाता पहले से ही राजद के पक्ष में लामबंद नजर आ रहा है. अगर दलित और ईबीसी समुदाय ने मुंह फेरा तो श्रवण कुमार की राह कठिन हो सकती है. 2015 में इस समुदाय ने बीजेपी को वोट दिया था.
 

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