बिहार में राजपूत राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले औरंगाबाद में बीजेपी अपने ही दो दिग्गज नेताओं के बीच बंटी नजर आ रही है. औरंगाबाद से बीजेपी ने रामाधार सिंह को उम्मीदवार बनाया है लेकिन बीजेपी के लोकल स्टार प्रचारक स्थानीय सांसद सुशील सिंह अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार का प्रचार नहीं कर रहे हैं. रामाधार सिंह अकेले अपने दम पर ही इलाके में जा-जाकर चुनाव प्रचार करते दिख रहे हैं. औरंगाबाद से 20 किलो मीटर दूर धनेड़ी गांव में रामधार सिंह को अकेले चुनाव प्रचार करते देखा गया. लोग उनके समर्थन में जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. 2015 में हारने के बावजूद दर्जन भर से ज्यादा ग्रामीण उनके मुंह पर उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. एक ने पॉलिटेक्निक बनवाने के लिए रामाधार सिंह की तारीफ की.
कोरोना काल में औरंगाबाद में सुबह से लेकर देर रात तक सियासी सभाएं चल रही हैं. यहां रामाधार सिंह को कांग्रेस और बीएसपी से टक्कर मिल रही है. बीजेपी की गुटबाजी उनके लिए बड़ी चुनौती है. चार बार विधायक रहे रामाधार सिंह खुलेआम सांसद सुशील सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए जाने जाते रहे हैं. हालांकि, बीजेपी आलाकमान ने कई बार इन दोनों राजपूत नेताओं के बीच सुलह कराने की कोशिश करवाई, मिठाई तक खिलवाई लेकिन सियासी कड़वाहट खत्म नहीं हुई.
बिहार चुनाव: नित्यानंद राय के बयान पर जेडीयू को आपत्ति- बिदक जाएंगे मुस्लिम वोटर
एनडीटीवी ने जब रामाधार सिंह से पूछा कि आप उनके घर मिठाई लेकर गए थे या वो आपके घर मिठाई लेकर आए थे? तो उन्होंने कहा, "न मैं मिठाई लेकर गया था, न वो मिठाई लेकर आए थे और न मैं जाऊंगा मिठाई लेकर, न वो आएंगे. मेरी उनकी अदावत व्यक्तिगत है."
उधर, जमुई में बीजेपी का प्रचार करके औरंगाबाद अपनी कोठी में लौटे सांसद सुशील सिंह अपनी ही विधानसभा के बीजेपी प्रत्याशी रामाधार सिंह का चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं. हालांकि, इस मुद्दे पर वो बात करने से कतराते हैं. जब उनसे टकराव को लेकर पूछा गया तो सांसद ने कहा, "मेरा टकराव किसी से नहीं है, लोग मुझसे टकराते हैं. मैं अपने कर्तव्य का निर्वहन करता हूं."
जब JDU से अलग जाने की बात कही, तो 'चुप्पी साधे' रहे अमित शाह : NDTV से बोले चिराग पासवान
उधर, बीजेपी के रामाधार सिंह को औरंगाबाद विधान सभा सीट से 2015 में पटखनी देने वाले कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह भी रात को नागाटोला में सभा करने पहुंचे हैं. उनके समर्थक भी उनकी जय-जयकार कर रहे हैं. तेजस्वी और महागठबंधन के समर्थकों के अलावा बीजेपी की गुटबाजी का लाभ भी उन्हें मिलता दिख रहा है. जब उनसे पूछा गया कि लोग कहते हैं कि बीजेपी के सांसद अंदरखाने आपके साथ हैं तो उन्होंने कहा, "ये तो आप उनसे पूछिए. मुझे तो जो समर्थन देगा मैं उन सबका धन्यवाद करूंगा. पिछली बार रामाधार सिंह को 18 हजार से हराया था, इस बार 30 हजार से हराऊंगा."
औरंगाबाद से तीन बार विधायक रहे रामाधार सिंह और कांग्रेस के निवर्तमान विधायक आनंद शंकर सिंह जैसे दो राजपूत नेताओं की इस लड़ाई में कभी RJD में रहे अनिल यादव इस बार बीएसपी से चुनावी मैदान में हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं