बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में शह-मात का खेल जारी है. साथ ही कई सियासी धुरंधरों के भी मात खाने का खेल जारी है. पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे (Gupteshwar Pandey) इसी सियासी मोहरे का शिकार हो गए लेकिन बिहार के पूर्व आईपीएस अफसर और डीजी रैंक से रिटायर सुनील कुमार जेडीयू से टिकट पाने में सफल रहे हैं. जेडीयू ने उन्हें गोपालगंज की भोरे सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया है. सुनील कुमार नीतीश के करीबी दलित अफसरों में शामिल रहे हैं. उन्होंने 31 जुलाई को रिटायरमेंट के बाद अगस्त के आखिरी हफ्ते में जेडीयू ज्वाइन कर ली थी.
सुनील कुमार 1987 बैच के आईपीएस अफसर रहे हैं. उन्हें लल्लन सिंह ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी. सुनील कुमार के पिता भी बिहार विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. उनके भाई अनिल कुमार फिलहाल इस सीट से ही कांग्रेस के विधायक हैं. 2020 में महागठबंधन में सीट बंटवारे में ये सीट माले के खाते में चली गई है.
1987 बैच के ही आईपीएस अधिकारी रहे गुप्तेश्वर पांडे सियासी खेल में सुनील कुमार से पीछे रह गए हैं. उन्होंने चुनाव लड़ने के इरादे से ही पिछले महीने वीआरएस लिया था और जेडीयू में शामिल हुए थे. पांडे बक्सर या ब्रह्मपुर विधान सभा सीट से इलेक्शन लड़ना चाहते थे लेकिन ये दोनों सीटें बंटवारे के बाद बीजेपी के हिस्से में चली गई, जबकि उन्होंने जेडीयू का दामन थामा था.
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हालांकि, ऐसा होता रहा है कि सहयोगी दल के नेता सहयोगी दलों के सिंबल पर भी चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन गुप्तेश्वर पांडे को यह नसीब नहीं हो पाया क्योंकि बीजेपी में उनके शुभचिंतक से ज्यादा टिकट काटने वाले थे. कहा जा रहा है कि राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और बक्सर के सांसद व केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे नहीं चाहते थे कि गुप्तेश्वर पांडे को बीजेपी टिकट दे. इस तरह सियासी खेल में गुप्तेशवर पांडे सुनील कुमार से पिछड़ गए.
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