सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को अर्णब गोस्वामी (Arnab Goswami) को धमकी वाला पत्र भेजने के लिए शुक्रवार को अवमानना नोटिस जारी किया. दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से अर्णब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी हुआ था. जिसके खिलाफ अर्णब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद उन्हें सचिव की ओर से एक पत्र भेजा गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारी ने स्पीकर और विशेषाधिकार समिति द्वारा भेजे गए नोटिस की प्रकृति गोपनीय होने के कारण अदालत में देने पर पत्र कैसे लिखा? शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "कोई इस तरह से कैसे डरा सकता है? इस तरह से धमकियां देकर किसी को अदालत में आने से कैसे रोका जा सकता है? हम इस तरह के आचरण की सराहना नहीं करते हैं."
कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि इस पर हम एमिकस क्यूरी की सहायता लें. SC ने महाराष्ट्र विधानसभा सचिव को दो सप्ताह में कारण बताने के लिए कहा है. साथ ही नोटिस में कहा कि विधानसभा नोटिस दिखाने के लिए अर्णब गोस्वामी को धमकी देने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेषाधिकार मामले में अर्णब की गिरफ्तारी न हो.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि देश में कोई प्राधिकरण इस अदालत के पास आने के लिए किसी को दंडित नहीं कर सकता है. इस अधिकारी ने अपने पत्र में ऐसा कुछ लिखने की हिम्मत कैसे की?
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सचिव का पत्र लिखना अभूतपूर्व और न्याय प्रशासन को तिरस्कार में लाने व उसके हस्तक्षेप के समान है. कोर्ट ने 2 हफ्ते में जवाब मांगा है. साथ ही व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति के आदेश दिए हैं. इस बीच, अर्णब इस मामले में गिरफ्तार नहीं किये जायेंगे.कोर्ट ने इस मामले में सीनियर एडवोकेट अरविंद दत्तार को इस मामले में एमिकस क्युरी नियुक्त किया.
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