बैतूल:
सीने से जुड़ी दो बच्चियों की जिन्हें एक नई जिंदगी देने के लिए मध्य प्रदेश में जल्द एक जटिल ऑपरेशन किया जाएगा। इस तरह के ऑपरेशन में बच्चियों पर भी खतरा कम नहीं है लेकिन इन्हें सामान्य जिंदगी देने के लिए यह बहुत जरूरी है। खास बात यह है कि एनडीटीवी के दर्शकों ने बच्चों के ऑपरेशन के लिए दिल खोलकर मदद की है।
बैतूल के इस अस्पताल के लिए भी यह एक अहम ऑपरेशन होगा। डॉक्टरों की बड़ी टीम इसकी तैयारी में लगी है। उन्हें उम्मीद है कि वह इन जुड़वां बच्चियों को अलग करने में कामयाब होंगे। दोनों बच्चियों का नाम आराधना और स्तूति है।
इस ऑपरेशन में देश-विदेश के डॉक्टरों की टीम शामिल होगी। अगर यह ऑपरेशन कामयाब रहा तो एक साथ दो जिंदगियां कुदरती कैद से आजाद होकर एक नई जिंदगी की शुरुआत कर सकेंगी। बच्चियों के इस तरह से जुड़े होने के चलते परिवार इन्हें घर भी नहीं ले जा पाया। ऑपरेशन की घड़ी जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे परिवार के दिल की धड़कनें बढ़ रही हैं। आराधना और स्तुति पैदा होने के बाद से ही अस्पताल में हैं। उनके माता−पिता उनको घर नहीं ले गए वह किसी सामाजिक दबाव की बातें करते हैं जो उनको अपनी ही बच्चियों को घर ले जाने से रोकता है। अस्पताल दोनों बच्चियों की देखभाल कर रहा है उनको पाल रहा है क्योंकि उनके माता−पिता का कहना है कि वह दोनों का मेडिकल खर्च नहीं उठा सकते।।
उनके माता-पिता की मजबूरी को देखते हुए एनडीटीवी ने ऑपरेशन का खर्च जुटाने का बीड़ा उठाया। बेशक, इस पूरे मामले में अस्पताल की भूमिका भी बेहद अहम रही जहां दोनों बच्चियों को घर जैसा लाड और प्यार मिला। अब इंतजार है उस ऑपरेशन के सुखद अंजाम का जो एक परिवार और कई जिंदगियों में खुशहाली का पैगाम ला सकता है।
बैतूल के इस अस्पताल के लिए भी यह एक अहम ऑपरेशन होगा। डॉक्टरों की बड़ी टीम इसकी तैयारी में लगी है। उन्हें उम्मीद है कि वह इन जुड़वां बच्चियों को अलग करने में कामयाब होंगे। दोनों बच्चियों का नाम आराधना और स्तूति है।
इस ऑपरेशन में देश-विदेश के डॉक्टरों की टीम शामिल होगी। अगर यह ऑपरेशन कामयाब रहा तो एक साथ दो जिंदगियां कुदरती कैद से आजाद होकर एक नई जिंदगी की शुरुआत कर सकेंगी। बच्चियों के इस तरह से जुड़े होने के चलते परिवार इन्हें घर भी नहीं ले जा पाया। ऑपरेशन की घड़ी जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे परिवार के दिल की धड़कनें बढ़ रही हैं। आराधना और स्तुति पैदा होने के बाद से ही अस्पताल में हैं। उनके माता−पिता उनको घर नहीं ले गए वह किसी सामाजिक दबाव की बातें करते हैं जो उनको अपनी ही बच्चियों को घर ले जाने से रोकता है। अस्पताल दोनों बच्चियों की देखभाल कर रहा है उनको पाल रहा है क्योंकि उनके माता−पिता का कहना है कि वह दोनों का मेडिकल खर्च नहीं उठा सकते।।
उनके माता-पिता की मजबूरी को देखते हुए एनडीटीवी ने ऑपरेशन का खर्च जुटाने का बीड़ा उठाया। बेशक, इस पूरे मामले में अस्पताल की भूमिका भी बेहद अहम रही जहां दोनों बच्चियों को घर जैसा लाड और प्यार मिला। अब इंतजार है उस ऑपरेशन के सुखद अंजाम का जो एक परिवार और कई जिंदगियों में खुशहाली का पैगाम ला सकता है।
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