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This Article is From Dec 07, 2014

बंगलुरु: ठगी के आरोप में न्यूज़ीलैंड की महिला गिरफ्तार

बंगलुरु: ठगी के आरोप में न्यूज़ीलैंड की महिला गिरफ्तार
ठगी के आरोप में गिरफ्तार मल्टी लेवल मार्केटिंग के कर्मचारी
बेंगलुरु:

न्यूज़ीलैंड की 52 वर्षीय महिला ने सोंचा भी नहीं होगा कि जिन लोगों को वह रातों रात करोड़पति बनाने का सपना दिखाकर आठ से 25 हज़ार रुपये निवेश करने को मना रही, वह दरअसल क्राइम ब्रांच के आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारी हैं।

बेंगलुरु पुलिस के क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त हेमंत निम्बालकर के मुताबिक, क्राइम ब्रांच को शिकायत मिली कि कर्नाटक राजभवन के नज़दीक एक जाने माने होटल में एक विदेशी महिला कुछ महीनों से लोगों को सुनहरे भविष्य का सपना दिखा कर बेवक़ूफ़ बना रही है और उसके बहकावे में आकर कई लोग अपनी जमा पूंजी खो चुके हैं।

दरअसल न्यूज़ीलैंड की रहने वाली डेनिसि ड्राईवर नाम की यह महिला अमेरिका की एक कंपनी के लिए काम करती है। उसने निवेशकों की एक चैन बनाई, इसके तहत अपनी हैसियत के हिसाब से आठ हज़ार से 25 हज़ार रुपये निवेश करना होता है। इस रकम का बड़ा हिस्सा डेनिसि को मिलता, बाकी इस कड़ी से पहले जुड़े लोगों में बांट दिया जाता। निवेशक कड़ी को जी तोड़ मेहनत कर आगे बढ़ाता, क्योंकि उसका मूल निवेश तभी वापस होगा जब कड़ी आगे बढ़ेगी। यह सिलसिला जहां रुकता पिछले निवेशक का पैसा वहीं डूब जाता, लेकिन हर निवेशक की रकम से एक बड़ा हिस्सा डेनिसि को ज़रूर मिलता।

पुलिस के मुताबिक, अब तक जांच से पता चला की इस तरह डेनिस ने 32,339 लोगों के निवेश से 50 करोड़ से ज़्यादा रकम कमाई। उसके चेन में अमेरिका, मलेशिया, भारत, पाकिस्तान और दुबई के लोग शामिल है।

पुलिस ने बताया कि भारत में पंजाब, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र तक डेनिस का नेटवर्क फैल चूका था और ये लगातार बढ़ रहा था। ख़ास कर युवाओं ले बीच इसकी लोकप्रियता काफी थी और फटाफट अमीर बनने की उनकी चाहत डेनिसि से उन्हें जोड़ रही थी। इन्ही में से एक शिकार ने इस हेराफेरी की खबर क्राइम ब्रांच को दी।

गौरतलब है कि ऐसे किसी भी मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम पर भारत में पाबंदी है। डेन्सी और उसके तीन दुसरे भारतीय सहयोगियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तेहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

इस मामले में पुलिस ने होटल के खिलाफ भी फोरेनर रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस कानून के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया है, क्योंकि विदेशी मूल के किसी शख्स के होटल में रुकने पर इसकी जानकारी एफआरआरओ दफ्तर में देना ज़रूरी है, जो कि होटल ने नहीं दी थी।

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