
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने CBSE से संबद्ध सभी स्कूलों के कक्षा 9 से 12 तक के अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम (syllabuse) से लोकतांत्रिक अधिकार (Democratic rights), संघवाद (Federalism) और धर्मनिरपेक्षता (Secularism) जैसे अहम चैप्टर हटाने के केंद्र सरकार के फैसले से वह "हैरान" हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम महत्त्वपूर्ण विषयों को हटाने के सीबीएसई के फैसले का कड़ा विरोध करते हैं. केंद्रीय मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय मंत्रालय को सुनिश्चित करना चाहिए कि इन महत्वपूर्ण अध्यायों को नहीं हटाया जाए.ममता ने कहा, 'मैं इस बात से अचंभित हूं कि केंद्र ने सीबीएसई पाठ्यक्रम के 'भार' को कम करने के नाम पर नागरिकता, संघवाद जैसे बेहद महत्वपूर्ण विषयों को कैसे हटा दिया?' मुख्यमंत्री ने कहा, "हम इस पर कड़ी आपत्ति जताते हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार से अपील करते हैं कि इन महत्वपूर्ण पाठों को किसी भी कीमत पर हटाया नहीं जाए."
गौरतलब है कि सीबीएसई ने कोविड-19 की महामारी के चलते स्कूलों में नियमित कक्षाएं बुरी तरह से 'बाधित' होने के चलते 9वीं से 12वीं तक के अपने सिलेबस में 30 फीसदी कटौती की घोषणा की है. कोरोना की महामारी के चलते देश में सभी स्कूल बंद है और ऑनलाइन क्लासेस के जरिये पढ़ाई कराई जा रही है. सरकार की ओर से कहा गया है कि पाठ्यक्रम में यह 'कटौती' 2020-21 शैक्षणिक वर्ष के लिए लागू है
????Considering the importance of learning achievement, it has been decided to rationalize syllabus up to 30% by retaining the core concepts.@PMOIndia @HMOIndia @HRDMinistry @mygovindia @transformIndia @cbseindia29 @mygovindia
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 7, 2020
गौरतलब है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने मंगलवार को कोरोनावायरस संकट के बीच 2020-21 के शिक्षा सत्र में बच्चों के ऊपर से सिलेबस का बोझ कम करने के लिए कोर्स को 30 फीसदी कम करने की घोषणा की थी. इसके तहत सीबीएसई ने स्कूलों में लोकतांत्रिक अधिकार, फूड सिक्योरिटी, संघवाद जैसे अहम चैप्टर को सिलेबस से हटा दिया है. शिक्षा संस्थानों से जुड़े और इन विषयों के कई जानकारों और विशेषज्ञों ने बोर्ड के इस कदम का विरोध किया है. कांग्रेस नेता शशि थरूर और जयराम रमेश ने भी सिलेबस से ऐसे अहम चेप्टर हटाने का विरोध किया है.
3/3 One has to doubt the motives of those who selected the topics to drop. Have they decided democracy, diversity, secularism&the like are more dispensable concepts for tomorrow's Indian citizens? I urge the Govt to rationalise the curriculum rather than strip it of civic values.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 8, 2020
बोर्ड ने कक्षा नौ से 12वीं तक के इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस विषयों को रिवाइज़ किया है, जिसमें कक्षा 11वीं के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद और निरपेक्षवाद जैसे अध्यायों को 'पूरी तरह हटा' दिया गया है. 'Local Government' चैप्टर से बस दो यूनिट हटाए गए हैं. इसमें 'Why do we need Local Governments?' और 'Growth of Local Government in India' शामिल हैं. कक्षा 12वीं के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से 'Security in the Contemporary World', 'Environment and Natural Resources', 'Social and New Social Movements in India' और 'Regional Aspirations' चैप्टर्स को तो पूरी तरह से हटा दिया गया है. 'Planned Development' चैप्टर से 'changing nature of India's economic development' और 'Planning Commission and Five Year Plans' यूनिट को हटा दिया गया है.वहीं, भारत के विदेशी देशों से रिश्तों पर मौजूदा चैप्टर से इस सत्र के लिए 'India's Relations with its Neighbours: Pakistan, Bangladesh, Nepal, Sri Lanka, and Myanmar' टॉपिक को हटा दिया गया है.
इसी कड़ी में नौवीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से 'Democratic Rights' और 'Structure of the Indian Constitution' अध्यायों तक को हटा दिया गया है. वहीं, नौवीं कक्षा के ही इकोनॉमिक्स के सिलेबस से 'Food Security in India' चैप्टर को हटाया गया है. कक्षा 10वीं के बच्चों के सिलेबस से 'Democracy and Diversity', 'Caste, Religion and Gender' और 'Challenges to Democracy' के अध्याय भी हटा दिए गए हैं. (भाषा से भी इनपुट)
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