ढाका:
भारत की ओर से लंबे वक्त से की जा रही मांग पर गौर करते हुए बांग्लादेश की सरकार ने उल्फा के नेता अनूप चेतिया को वापस भेजने का फैसला किया है।
बांग्लादेश के गृहमंत्री मोहिउद्दीन खान आलमगीर ने कहा, ‘चेतिया को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है।’ गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि चेतिया को प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया कई महीने पहले शुरू हुई थी और इसे अभी पूरा होना बाकी है।
उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है, हालांकि एक मौजूदा समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे के यहां बंद कैदियों का आदान-प्रदान करते हैं, हालांकि इसके लिए कैदियों की यह सहमति जरूरी होती है कि वे अपने देश में शेष सजा पूरी करना चाहते हैं।
इस अधिकारी ने कहा, ‘अवैध घुसपैठ के मामले में जेल की सजा पूरी होने के बावजूद चेतिया को सौंपने के लिए कुछ कानूनी प्रक्रियाओं को पूरी करने की जरूरत है।’ चेतिया को 1997 में बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था और घुसपैठ, फर्जी पासपोर्ट एवं अवैध रूप से विदेशी मुद्रा रखने के मामले में सात साल की सजा पूरी होने के बाद से उसे हिरासत में रखा गया है।
चेतिया पर बांग्लादेश सरकार के फैसले के बारे में पूछे जाने पर भारतीय उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रत्यर्पण संधि के अभाव के बीच भारत ढाका से बार-बार चेतिया को सौंपने का आग्रह करता रहा है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि उसे जल्द सौंपा जाएगा क्योंकि भारत और बांग्लादेश के बीच वांछित लोगों की अदला-बदली की व्यवस्था है।’’ उधर, समाचार पत्र ‘डेली स्टार’ और दूसरे अखबारों ने सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए जाने की प्रक्रिया चल रही है, जिसके तहत चेतिया को सौंपा जाएगा, हालांकि इसकी एवज में बांग्लादेश अपने कुछ वांछित नागरिकों को भारत से मांग सकता है।
बांग्लादेश की पूर्व गृह मंत्री सहरा खातून ने पिछले साल कहा था कि उन्हें नहीं लगता है कि चेतिया को भारत के हवाले करने में कोई रुकावट है, लेकिन जेल में बंद किसी व्यक्ति को सौंपने की कुछ प्रक्रियाएं होती हैं।
चेतिया से जुड़ा यह नया घटनाक्रम उस वक्त सामने आया है जब चार दिन पहले ही ढाका में अर्धसैनिक बलों बोर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के प्रमुखों की बैठक हुई थी।
बांग्लादेश के गृहमंत्री मोहिउद्दीन खान आलमगीर ने कहा, ‘चेतिया को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है।’ गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि चेतिया को प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया कई महीने पहले शुरू हुई थी और इसे अभी पूरा होना बाकी है।
उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है, हालांकि एक मौजूदा समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे के यहां बंद कैदियों का आदान-प्रदान करते हैं, हालांकि इसके लिए कैदियों की यह सहमति जरूरी होती है कि वे अपने देश में शेष सजा पूरी करना चाहते हैं।
इस अधिकारी ने कहा, ‘अवैध घुसपैठ के मामले में जेल की सजा पूरी होने के बावजूद चेतिया को सौंपने के लिए कुछ कानूनी प्रक्रियाओं को पूरी करने की जरूरत है।’ चेतिया को 1997 में बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था और घुसपैठ, फर्जी पासपोर्ट एवं अवैध रूप से विदेशी मुद्रा रखने के मामले में सात साल की सजा पूरी होने के बाद से उसे हिरासत में रखा गया है।
चेतिया पर बांग्लादेश सरकार के फैसले के बारे में पूछे जाने पर भारतीय उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रत्यर्पण संधि के अभाव के बीच भारत ढाका से बार-बार चेतिया को सौंपने का आग्रह करता रहा है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि उसे जल्द सौंपा जाएगा क्योंकि भारत और बांग्लादेश के बीच वांछित लोगों की अदला-बदली की व्यवस्था है।’’ उधर, समाचार पत्र ‘डेली स्टार’ और दूसरे अखबारों ने सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए जाने की प्रक्रिया चल रही है, जिसके तहत चेतिया को सौंपा जाएगा, हालांकि इसकी एवज में बांग्लादेश अपने कुछ वांछित नागरिकों को भारत से मांग सकता है।
बांग्लादेश की पूर्व गृह मंत्री सहरा खातून ने पिछले साल कहा था कि उन्हें नहीं लगता है कि चेतिया को भारत के हवाले करने में कोई रुकावट है, लेकिन जेल में बंद किसी व्यक्ति को सौंपने की कुछ प्रक्रियाएं होती हैं।
चेतिया से जुड़ा यह नया घटनाक्रम उस वक्त सामने आया है जब चार दिन पहले ही ढाका में अर्धसैनिक बलों बोर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के प्रमुखों की बैठक हुई थी।
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