रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के सांकेतिक उपवास का आज आखिरी दिन है। आज मंच से रामदेव ने कहा कि काले धन और भ्रष्टाचार के विरोध में उनके पास देश के 225 से ज्यादा सांसदों का समर्थन पत्र है, साथ ही सवा लाख ग्राम सभाओं का समर्थन भी उन्हें हासिल है और उनके कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल इसे लेकर राष्ट्रपति से मिलेगा, ताकि केंद्र सरकार पर इन मुद्दों पर दबाव बनाया जा सके।
मंच से रामदेव ने यूपीए के घटक दलों, एनडीए और देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को काले धन पर अपना रुख एकबार फिर साफ करने को कहा, ताकि देश की जनता उनकी मंशा जान सके।
अनशन शुरू करने से पहले रामदेव ने सरकार को अपनी मांगों पर अमल करने के लिए तीन दिन का वक्त दिया था। हैरानी की बात यह रही है कि अनशन पर बैठने से पहले सरकार पर गरम रहे रामदेव सरकार के प्रति नरम पड़ गए हैं। उन्होंने अपने भाषणों में सरकार के नुमाइंदे से बात करने के लिए प्रस्ताव रखा है, लेकिन सरकार का रुख रामदेव के प्रति शुरू से ही गरम रहा है। केंद्र सरकार में मंत्री सलमान खुर्शीद ने रामदेव के अनशन को 'सालाना कार्यक्रम' तक बता दिया था।
रामदेव ने शुक्रवार को अपने अनशन के दूसरे दिन कहा कि वह तब रामलीला मैदान तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक सरकार की ओर से कालाधन वापस लाने और मजबूत लोकपाल कानून के लिए कोई बड़ा फैसला नहीं आता। रामदेव ने शुक्रवार शाम को कुछ विशेष घोषणा करने का संकेत देने के बाद केवल अपन मांगें ही दोहराईं और कहा कि वह फिलहाल सरकार के किसी भी प्रतिनिधि से बातचीत नहीं कर रहे हैं और उनके दरवाजे हमेशा बातचीत के लिए खुले हैं।
योग गुरु ने शाम को अपने संबोधन में कहा कि जब तक सरकार उनके उठाए मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती तब तक विरोध प्रदर्शन बंद नहीं होगा। उन्होंने कहा, सरकार की ओर से किसी बड़े फैसले के बाद ही हम रामलीला मैदान छोड़ेंगे। रामदेव ने कहा, सरकार को काले धन, भ्रष्टाचार से निपटने और व्यवस्था परिवर्तन पर अपना एजेंडा घोषित करना होगा। हमारा उद्देश्य किसी की छवि बिगाड़ना या अपमान करना नहीं है।
इससे पहले दिन में उन्होंने कहा कि वह शनिवार तक इंतजार करेंगे और फिर आंदोलन के अगले कदम के बारे में घोषणा करेंगे। लोकपाल के मुद्दे पर रामदेव ने कहा कि शत-प्रतिशत आम सहमति भले ही संभव नहीं हो, लेकिन सरकार को ऐसा मजबूत लोकपाल लाना चाहिए, जिससे 99 प्रतिशत लोग खुश हों। अपने कई समर्थकों के साथ अनशन कर रहे योग गुरु ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह काले धन को वापस लाने के लिए राजनीतिक ईमानदारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाएं।
(इनपुट भाषा से भी)
मंच से रामदेव ने यूपीए के घटक दलों, एनडीए और देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को काले धन पर अपना रुख एकबार फिर साफ करने को कहा, ताकि देश की जनता उनकी मंशा जान सके।
अनशन शुरू करने से पहले रामदेव ने सरकार को अपनी मांगों पर अमल करने के लिए तीन दिन का वक्त दिया था। हैरानी की बात यह रही है कि अनशन पर बैठने से पहले सरकार पर गरम रहे रामदेव सरकार के प्रति नरम पड़ गए हैं। उन्होंने अपने भाषणों में सरकार के नुमाइंदे से बात करने के लिए प्रस्ताव रखा है, लेकिन सरकार का रुख रामदेव के प्रति शुरू से ही गरम रहा है। केंद्र सरकार में मंत्री सलमान खुर्शीद ने रामदेव के अनशन को 'सालाना कार्यक्रम' तक बता दिया था।
रामदेव ने शुक्रवार को अपने अनशन के दूसरे दिन कहा कि वह तब रामलीला मैदान तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक सरकार की ओर से कालाधन वापस लाने और मजबूत लोकपाल कानून के लिए कोई बड़ा फैसला नहीं आता। रामदेव ने शुक्रवार शाम को कुछ विशेष घोषणा करने का संकेत देने के बाद केवल अपन मांगें ही दोहराईं और कहा कि वह फिलहाल सरकार के किसी भी प्रतिनिधि से बातचीत नहीं कर रहे हैं और उनके दरवाजे हमेशा बातचीत के लिए खुले हैं।
योग गुरु ने शाम को अपने संबोधन में कहा कि जब तक सरकार उनके उठाए मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती तब तक विरोध प्रदर्शन बंद नहीं होगा। उन्होंने कहा, सरकार की ओर से किसी बड़े फैसले के बाद ही हम रामलीला मैदान छोड़ेंगे। रामदेव ने कहा, सरकार को काले धन, भ्रष्टाचार से निपटने और व्यवस्था परिवर्तन पर अपना एजेंडा घोषित करना होगा। हमारा उद्देश्य किसी की छवि बिगाड़ना या अपमान करना नहीं है।
इससे पहले दिन में उन्होंने कहा कि वह शनिवार तक इंतजार करेंगे और फिर आंदोलन के अगले कदम के बारे में घोषणा करेंगे। लोकपाल के मुद्दे पर रामदेव ने कहा कि शत-प्रतिशत आम सहमति भले ही संभव नहीं हो, लेकिन सरकार को ऐसा मजबूत लोकपाल लाना चाहिए, जिससे 99 प्रतिशत लोग खुश हों। अपने कई समर्थकों के साथ अनशन कर रहे योग गुरु ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह काले धन को वापस लाने के लिए राजनीतिक ईमानदारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाएं।
(इनपुट भाषा से भी)
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