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This Article is From Sep 27, 2019

अयोध्या केस: SC ने पूछा- क्या ये विवाद सिर्फ राम चबूतरे का था या पूरे जन्मस्थान का? मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने दिया ये जवाब

अयोध्या केस में शुक्रवार को 33वें दिन भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्षकारों की ओर से मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि रिपोर्ट के मुख्य भाग और निष्कर्ष के बीच कोई समानता नहीं है.

अयोध्या केस: SC ने पूछा- क्या ये विवाद सिर्फ राम चबूतरे का था या पूरे जन्मस्थान का? मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने दिया ये जवाब
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

अयोध्या केस में शुक्रवार को 33वें दिन भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्षकारों की ओर से मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि रिपोर्ट के मुख्य भाग और निष्कर्ष के बीच कोई समानता नहीं है. ASI ने माना है कि गुप्ता काल तक जगह की प्रकृति की पहचान नहीं की जा सकती थी. यह कहना गलत है कि मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था. इसे "दिव्य" कैसे कहा जा सकता है? दिव्य युगल का नाम कैसे दिया जा सकता है? गोल गुंबद के पास अष्टकोणीय आकृति थीं. ASI की रिपोर्ट सिर्फ एक राय है.

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मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि ASI की रिपोर्ट अलग-अलग विशेषज्ञों की अलग-अलग राय वाली है. लिहाजा वैज्ञानिक कम और कल्पना पर ज़्यादा आधारित है. रिपोर्ट से कहीं साबित नहीं होता कि वहां गुप्त काल का भी निर्माण था. जिस महल की बात की जा रही है. निर्माण मध्यकाल का है. ऐसे में उसे 12वीं सदी का मंदिर बताना गलत है. उसे दिव्य कहना भी उचित नहीं. ढांचे पर बना गोल गुंबद भी छह पहलुओं वाला था.

अयोध्या मामले में ASI की रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने कहा कि पुरातत्व भी पूरी तरह से विज्ञान नहीं है. सेक्शन 45 इस पर लागू नहीं होता है. ASI रिपोर्ट की जांच की गई थी और आपत्तियों पर विचार भी किया गया. जस्टिस नज़ीर ने मुस्लिम पक्षकारों की दलील पर टिप्पणी की कि आप रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर सवाल नहीं उठा सकते. कोर्ट की ओर से नियुक्त उस कमिश्नर ने यह रिपोर्ट दी है जो जज के समान थे.

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मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि पुरातत्व विभाग के हरेक पुरातत्व अधिकारी ने अपनी सोच के हिसाब से तस्वीर तैयार की है. उसी के आधार पर वह निष्कर्ष तक पहुंचने की कोशिश करता है. पुरातत्व विज्ञान बिल्कुल हैंडराइटिंग विज्ञानी कि तर्ज पर अंदाजे से काम करते हैं. एक पुरातत्व विज्ञानी की राय दूसरे से आमतौर पर नहीं मिलती. गौर करने वाली बात ये है कि फिंगरप्रिंट कि जांच बिल्कुल सटीक होती है, क्योंकि मिलान का प्रतिशत कहीं ज्यादा होने पर सही माना जाता है.

जस्टिस बोबडे ने कहा कि क्या आपके पास कोई ऐसा पुरातत्व वैज्ञानी जो ASI की रिपोर्ट का नकार सके जैसे आप नकार रही हैं. इस पर मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा, ''हिन्दू पक्ष कि ओर से पेश हुए गवाहों कि राय भी पुरातत्व विभाग से इतर थी. जयंती प्रसाद श्रीवास्तव, रिटायर्ड पुरातत्व अधिकारी ने विभाग कि रिपोर्ट से इतर राय रखी.''

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि दोनों ही पक्षों के पास कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है. सभी पक्ष का मामला पुरातत्व रिपोर्ट के नजरिये पर टिका हुआ है. इस पर मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि पुरातत्व विभाग कि रिपोर्ट में कहीं नहीं कहा गया कि अमुक स्थान राम मंदिर है. जबकि राम चबूतरे को वॉटर टैंक बताया गया है.

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जस्टिस बोबडे ने कहा कि एक बात तो साफ है कि वह पर कब्ज़े को लेकर विवाद था, लेकिन क्या ये विवाद सिर्फ राम चबूतरे का था या पूरे जन्मस्थान का? मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश शेखर नाफडे ने कहा कि हिन्दू वहां पर कुछ जमीन पर पूजा करते थे. उनका सिर्फ राम चबूतरे पर नियंत्रण था, वे स्वामित्व हासिल करने की कोशिश कर रहे थे जिसे अस्वीकार कर दिया गया था. उन्होंने अतिक्रमण करने के लिए लगातार प्रयास किया. 

नाफडे ने कहा कि वहां पर हिंदुओं का सीमित अधिकार था और वो उसको बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि न्यायिक कमिश्नर ने माना था कि वहां पर हिंदुओं का सीमित अधिकार था और वो उसको बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हिंदुओं के सीमित अधिकार को स्वीकार किया था उनका स्वामित्व स्वीकार नहीं किया था.

नाफडे ने कहा कि 1885 के सूट पर फैजाबाद की अदालत का फैसला हिंदुओं पर बाध्यकारी है. इस फैसले में अदालत ने मंदिर के निर्माण और अन्य अधिकारों से इनकार कर दिया था.

मुख्य न्यायाधीश ने मुस्लिम पक्षकारों के वकील शेखर नाफड़े से पूछा कि आप अपनी दलील कबतक पूरी कर लेंगे. शेखर नाफडे ने कहा 2 घंटे और मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम अपना शिड्यूल नही बदलेंगे.

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