अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के ज़मीन विवाद (Ayodhya case) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है और इस पर 17 नंवबर से पहले फ़ैसला सुनाया जा सकता है. 17 नवंबर को ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं. इस मामले में 5 जजों की संविधान पीठ ने लगातार 40 दिन तक सुनवाई की. यह देश के इतिहास में सबसे लंबी दूसरी सुनवाई थी. इस बेंच में CJI रंजन गोगाई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नज़ीर शामिल हैं. यह संविधान पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 में दिए गए उस फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी. जिसमें तीनों पक्षकारों यानी रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को 2.77 एकड़ की विवादित ज़मीन का एक तिहाई यानी बराबर-बराबर हिस्सा देने की बात कही गई थी.
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कई ऐसे मौके आए जो हेडलाइन बन गईं. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिन्दू महासभा के वकील विकास सिंह की ओर से पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया. विकास सिंह ने कहा कि मैं हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक एक नक्शा दिखाना चाहता हूं. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि यह भी किताब का हिस्सा है. मैं किसी भी सूरत में इसे मंजूरी नहीं दे सकता. ये कहते हुए धवन ने नक्शा फाड़ डाला और पांच टुकड़े कर दिए. यह खबर बाहर आते ही चर्चा का विषय बन गई.
नक्शा फाड़ने का फैसला सिर्फ राजीव धवन का अकेले का फैसला नहीं था. उन्होंने बताया, 'मैंने कहा था कि मैं इसे फेंक रहा हूं. चीफ जस्टिस ने कहा कि जो करना है करो, तो मैंने फाड़ दिया'. लेकिन सोशल मीडिया में यह खबरें वायरल होने लगीं. इस पर प्रधान न्यायाधीश (CJI)रंजन गोगाई ने राजीव धवन से कहा कि आप सफाई दे सकते हैं सीजेआई ने फाड़ने को कहा था. वहीं, जस्टिस नजीर ने कहा कि ये खबर वायरल हो रही है, हमने भी देखी है.
अयोध्या पर SC में तीखी बहस: मुस्लिम पक्ष ने फाड़ा हिंदू पक्ष का नक्शा
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