अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में 21 वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पक्ष रखा. राजीव धवन ने कहा कि संविधान पीठ को दो मुख्य बिन्दुओं पर ही विचार करना है. पहला विवादित स्थल पर मालिकाना हक किसका है और दूसरा क्या गलत परम्परा को जारी रखा जा सकता है. राजीव धवन ने सन 1962 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता, यही कानून के तहत होना चाहिए.
धवन ने कहा कि अदालत में यह साबित किए जाने कि कोशिश की जाती रही है कि जमीन पहले हिन्दू पक्षकारों के अधिकार में थी. यह मानकर अदालत को विश्वास दिलाया जाता रहा है जो उचित नहीं है. उन्होंने हिंदू पक्ष के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि 'क्या रामलला विराजमान कह सकते हैं कि उस जमीन पर मालिकाना हक उनका है? नहीं, उनका मालिकाना हक कभी नहीं रहा है.'
राजीव धवन ने कहा निर्मोही अखाड़ा ने जो गैरकानूनी कब्जा चबूतरे पर किया उस पर मजिस्ट्रेट ने नोटिस जारी कर दिया जिसके बाद से इसकी न्यायिक समीक्षा शुरू हुई. एक नोटिस जो कि निर्मोही अखाड़े के गलत दावे पर आधारित था उसके चलते आज 2019 में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़े के मुकदमे का विरोध करते हुए कहा कि सेवादार के अलावा अन्य संबधित चीजों पर उनका दावा नहीं हो सकता है क्योंकि वे उनके मालिक नही हैं. वे सिर्फ सेवादार हैं. ट्रस्टियों और सेवादार में अंतर है.
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अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में आज संविधान पीठ में महज एक घंटा 30 मिनट ही सुनवाई हो पाई क्योंकि संविधान पीठ मामले की सुनवाई के लिए दोपहर दो बजे बैठी थी जबकि इससे पहले रोजाना सुबह 10.30 से संविधान पीठ मामले की सुनवाई शुरू करती रही है.
Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने कहा- रामलला के अंतरंग सखा को सिर्फ पूजा का अधिकार, जमीन पर दावा नहीं
गुरुवार को भी मुस्लिम पक्ष की तरफ से बहस जारी रहेगी.
VIDEO : मुस्लिम पक्ष का ऐतराज खारिज
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