
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की मौजूदगी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बीच लंबे समय के बाद शनिवार को जुबानी जंग हुई।
एक अखबार के उद्घाटन के कार्यक्रम में नीतीश और लालू के बीच में शिंदे बैठे हुए थे और इस अवसर पर नीतीश ने कहा कि मीडिया का विकास और विस्तार होने के साथ इन दिनों सोशल मीडिया का प्रभाव इतना बढ़ा है कि अब पुराने लोग भी ट्वीट करने लगे हैं।
नीतीश ने कहा कि ट्वीट का मतलब चिड़िया की चहचाहट है और शब्दकोष में इसका अर्थ 'चीचीं' लिखा है।
उन्होंने कहा कि नए लोग (युवा) चेचियाते हैं, तो अच्छा लगता है पर आजकल पुराने लोग (लालू) भी देखा-देखी ऐसा करने लगे हैं।
उन्होंने लालू पर निशाना साधते हुए कहा कि अखबार में केवल वह ही छपे उनकी इस लालच तो समझते हैं और अगर कोई दूसरे के बारे में कुछ भी छपने पर उनका हाजमा बिगड़ जाता है।
नीतीश ने लालू के बारे में कहा कि जब ताकत (सत्ता में रहने पर) हो तो वह तय करें कि अखबार में कौन सी तस्वीर और खबर कहां छपेगी या नहीं।
नीतीश के यह कहने पर कि उन्हें जहां पहुंचना था पहुंच चुके हैं और जो करना था कर चुके हैं लालू ने उन्हें टोका, जिस पर उन्होंने कहा कि यह लालू जी कह रहे हैं कि अगर हमको दिखाना है और उनके बारे में लिखना बंद कर देंगे तो अखबार को बंद कर दें, लेकिन वे ऐसा दावा नहीं करते हैं। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि शायद लालू जी यह समझ रहे हैं कि हम है तो वह भी हैं।
इससे पहले लालू ने प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्केंडय काटजु द्वारा बिहार में पत्रकारों की स्वतंत्रता को लेकर नीतीश सरकार पर की गई टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि यहां क्षमतावान पत्रकारों के होने के बावजूद पिछले दिनों में उनकी पत्रकारिता में गिरावट आई है और उनकी स्थिति भाग्य बताने वाले ज्योतिषि के तोते जैसे हो गई है।
लालू ने कहा कि उनके और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के कार्यकाल के दौरान उनकी काफी आलोचनाएं हुई, लेकिन उस दौरान किसी भी अखबार या पत्रकार पर खतरा भी आया है तो वह सबसे आगे खड़े रहे।
उन्होंने नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग इतिहास बनाने में लगे हुए हैं और इसके लिए आतुर और बेचैन रहते हैं कि अखबारों में कैसे उनका नाम छपता रहे।
लालू ने कहा कि अगर कोई अखबार अपने खर्च की भरपायी और दूसरी जरूरतों की पूर्ति के लिए सिर्फ व्यवसाय के दृष्टिकोण से सरकारी विज्ञापन पाने के लिए उसके पक्ष में खबरें छापता है, तो वह जनमानस के लिए हितकारी नहीं है और वह अखबार टिकता नहीं।
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