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This Article is From Jan 07, 2011

स्वामी असीमानंद ने विस्फोटों का जुर्म कबूला

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के गिरफ्तार नेता स्वामी असीमानंद ने मजिस्ट्रेट के समक्ष कबूला है कि वह और हिंदू कार्यकर्ता मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस, अजमेर और मक्का मस्जिद विस्फोटों में शामिल थे। साप्ताहिक पत्रिका तहलका ने दावा किया है कि उसके पास असीमानंद द्वारा हस्ताक्षरित 42 पन्नों वाले कबूलनामे की प्रति है। पत्रिका के मुताबिक न्यायालय के समक्ष असीमानंद द्वारा जुर्म कबूलने से 'हिंदुत्व आतंकी नेटवर्क के आंतरिक कारगुजारियों' का खुलासा हो गया। असीमानंद का यह बयान गत 18 दिसम्बर को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज किया। मुस्लिमों को निशाना बनाकर किए गए विस्फोटों की जांच में जुटीं जांच एजेंसियां असीमानंद के इस बयान को बतौर साक्ष्य पेश कर सकती हैं। पत्रिका के मुताबिक असीमानंद ने मजिस्ट्रेट को बताया कि बम विस्फोटों को अंजाम दने में दक्षिणपंथी हिदू संगठन अभिनव भारत अकेला समूह नहीं है, बल्कि आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य इंद्रेश कुमार सहित अन्य प्रचारक भी विस्फोटों के लिए जिम्मेदार हैं। स्वामी ने कहा, "वर्ष 2005 में सबरी धाम आश्रम में इंद्रेशजी मुझसे मिले। उनके साथ आरएसएस के कई शीर्ष प्रचारक थे। उन्होंने कहा कि आतंकी हमलों के लिए उन्होंने सुनील जोशी को तैनात किया है और वह जरूरत की चीजें मुहैया कराएंगे।" ज्ञात हो कि अजमेर विस्फोट के मुख्य साजिशकर्ता जोशी की हत्या वर्ष 2007 में मध्य प्रदेश में कर दी गई। राजस्थान पुलिस के मुताबिक इस बात की आशंका है कि आतंकवादी कार्रवाई को छुपाने के लिए जोशी की हत्या उनके अपने ही लोगों ने की। पिछले वर्ष गिरफ्तार असीमानंद ने इंद्रेश पर आतंकवादी गतिविधियों के लिए जोशी को धन देने और बम लगाने के लिए आदमी उपलब्ध कराने का आरोप लगाया। असीमानंद ने आतंकी साजिश रचने में अपनी भूमिका स्वीकार किया है। उसने यह भी स्वीकार किया है कि मालेगांव, हैदराबाद और अजमेर शरीफ में विस्फोट करने के लिए उसने कैसे आरएसएस के प्रचारकों को उकसाया। उसने बताया कि हिंदू आतंकी गतिविधियां "वर्ष 2002 में हिंदू मंदिरों पर शुरू हुए मुस्लिम आतंकवादियों के हमलों" की प्रतिक्रिया में थीं।

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