महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए गहमा गहमी वक्त के साथ तेज होती जा रही है. सोमवार शाम तक संभावनों के बाद यह संकेत दे रहे थे कि महाराष्ट्र की सत्ता पर शिवसेना काबिज होगी लेकिन 7.30 बजते ही इस संभावनाओं पर राज्यपाल ने विराम लगा दिया. अब सरकार बनाने के लिए तीसरी बड़ी पार्टी NCP को न्योता भेजा गया है, जिन्होंने साफ किया है कि वह मंगलवार को कांग्रेस के साथ चर्चा के बीच कोई फैसला लेंगे. इन सारी सियासी उठापटक के बीच ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ने अपना रुख साफ कर दिया है. पार्टी प्रमुख ओवैसी ने ट्वीट कर साफ किया है कि AIMIM के दो विधायक हैं जोकि शिवसेना और कांग्रेस गठजोड़ को समर्थन नहीं करेंगे. उन्होंने लिखा कि पार्टी ने इस बात की जानकारी महाराष्ट्र के राज्यपाल के दफ्तर को भी दे दी है.
महाराष्ट्र में सत्ता की चाभी सोनिया गांधी के पास, एनसीपी का रुख कांग्रेस पर निर्भर
. @aimim_national has 2 MLAs in Maharashtra & we will not be supporting the Shiv Sena-Congress government. A letter to the same effect will be sent to the Governor of Maharashtra briefly
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 11, 2019
असदुद्दीन ओवैसी ने य़ह भी लिखा कि मुझे लगता है कि मेरे सिर पर सजाए गए 'वोट कटवा' के ताज को अब कांग्रेस के सिर पर सजा देना चाहिए. ओवैसी के अनुसार जिन लोगों को मैं, मेरी पार्टी और मेरे वोटर्स... तथाकथित सेक्यूलर पार्टियों के हार का कारण लगते थे. उम्मीद है उन्हें अब शांत होने की वजह मिल जाएगी.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बोले- आज बाला साहेब ठाकरे और शिवसैनिक कराह रहे होंगे क्योंकि...
I guess the CROWN of VOTE KATWA cannot sit on my humble head. It rightly belongs to the Indian National Congress.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 11, 2019
Those who were blaming me, my party & our voters for the defeat of “secular” parties must be feeling quite content now.
महाराष्ट्र: शिवसेना को समर्थन करना है या नहीं, इस पर कांग्रेस ने कुछ यूं दिया जवाब
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं. बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर बहुमत का 145 का आंकड़ा पार कर लिया था. लेकिन शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की मांग रख दी जिसके मुताबिक ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का मॉडल था. शिवसेना का कहना है कि बीजेपी के साथ समझौता इसी फॉर्मूले पर हुआ था लेकिन बीजेपी का दावा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ. इसी लेकर मतभेद इतना बढ़ा कि दोनों पार्टियों की 30 साल पुरानी दोस्ती टूट गई.
Video: राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया
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