सन 1984 के सिख विरोधी हिंसा मामले में जस्टिस ढींगरा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य सरकार, अभियोजन पक्ष और पुलिस ने सही समय पर अपनी रिपोर्ट अपील अदालत में दाखिल नहीं की. इसकी वजह से केसों के रिकॉर्ड नष्ट हो गए. जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 10 मामलों में राज्य सरकारें अपील दाखिल करें. दस वे FIR हैं जिसमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तत्कालीन एसएचओ कल्याणपुरी ने दंगाइयों की सहायता की थी.
सन 1984 के सिख विरोधी हिंसा मामले में जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट को आधार बनाकर पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए कहा है कि पुलिस ने इस मामले में दंगाइयों का साथ दिया है. साथ ही इस मामले में जस्टिस ढींगरा की सिफारिश के अनुसार अपील दाखिल होनी चाहिए. पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
वहीं केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में कानून के हिसाब से कार्रवाई करेंगे.
सरकार ने पैनल की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. कुछ कार्रवाई भी की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस बोबड़े ने कहा कि पीड़ित पक्ष अपनी अर्जी दाखिल कर सकते हैं, जिसमें वे अपनी मांगों को रख सकते हैं.
केंद्र ने कहा कि 1984 सिख विरोधी हिंसा मामले में एसआईटी की सिफारिशों को मंजूर किया गया है. कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी.
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